घर के हालात तो चेहरे से बयान होते हैं......
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फिर क्यों कमरे को करीने से सजा रखा है??..................
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गुम्म हूँ न जाने कौन से आलम में इन दिनों ...
अपनी खबर है अब न तुम्हारी खबर मुझे .. .
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लग्ज़िशें कहाँ तक साथ देंगी ...
हम भी एक रोज़ संभल जायेंगे ..
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छोड़ कर अपनी जड़े चलता बना ..
हम वहां हैं था जहाँ जंगल कभी .......
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आता था जिसको देख के तस्वीर का ख़याल ..
अब तो वो कील भी मेरी दीवार में नहीं .........
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सरहद की लकीर देख आये ..
खंजर की तरह चमक रही थी .
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किया था उसने जवानी में वस्ल का वादा
बुज़ुर्ग हो गए हम एतबार करते हुए ......
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देर है बारिश के आने में अगर ..
तब तलक तालाब को गहरा करो ..
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रास्ते में मिले सभी मुझको ...
जिसको देखा वो घर के बाहर था ..
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शहर का दर्द जहाँ हद से गुज़र जाता है ..
गाँव क्यों छोड़ा यही मुझको ख़याल आता है ..
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गली में चाँदनी छिटकी हुई है ..
कई दिन बाद वो खिड़की खुली है ..
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तुम आये हो तो आँखे हैं रोशन ..
दिए जैसे कि दीवाली में खुश हैं ...
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खज़ाना सच का मुठ्ठी में है जिसकी ,,
हम अपनी ऐसी कंगाली में खुश हैं ..
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हम तो गीली रेत थे जिसको रोंदा जाना था ..
उसने भी कुछ नक्श बनाये और बिगाड़ दिए ..
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हमारे ज़िन्दगी भर पाँव चादर से रहे बाहर ...
ताज्जुब है सिकंदर के कफ़न से हाथ बाहर थे ...
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हालां के याद आता है अब भी बहुत हमें ..
वो शहर जिसमे कोई हमारा कभी न था ...
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हम जिसके साथ साथ थे ,उसके कभी न थे ...
जो साथ था हमारे . हमारा कभी न था .....
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काश किसी दिन तेरा मेरा यू संगम हो जाये ..
मैं रोऊँ तो तेरे दिल का मौसम नम हो जाये ..
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बच्चो के सच्चे जेहनो में झूठी बातें मत डालो ,
कांटो कि सोहबत में रह कर फूल नुकीला हो जाता है ..
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दिन भर तो हम दोनों मिल कर पानी शक्कर मिलाते हैं ..
रात होते ही सारा शरबत क्यों ज़हरीला हो जाता है ...
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मैं तो अब भी तुझे चाहता हूँ मगर ...
इतनी जल्दी न मुझसे बदल ज़िन्दगी .....
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चला हूँ साथ में दुनिया के बरसो ...
अब अपने साथ चलना चाहता हूँ ...
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हमें भी ज़िन्दगी के गम बहुत थे ...
तुम्हे भी हमसे प्यारी ज़िन्दगी थी ..
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मुझसे क्या बेखबर रहे हो तुम ...
तुमसे क्या बेखबर रहा हूँ मैं ....
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हम कभी अपने साथ ही न रहे ..
साथ रहते तो खो गए होते ...
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क्या कभी तुम भी भूल जाते हमें ??
क्या कभी तुम भी ऐसे हो गए होते ???
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very nice ....original n real expression , impressive .
ReplyDeletevery beautiful xpression
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