मेरी प्यारी बेटी ,मेरी.ख़ुशी....हमारा संसार
और क्या क्या कहूँ ........... समझ नहीं आता....
उम्मीद ही नहीं ,पूरा यकीन है ,कि तुम बहुत अच्छी तरह से हो,,,,.....और हमारा प्यारा बेटा भी ,........इस इन्टरनेट के युग में पत्र लिखना एक अलग अहसास है , वो भी तब जब कि दिन भर में कितनी ही बार तुमसे बात होती रहती है.........फिर भी पत्र की जगह कोई नहीं ले सकता.......ये एक ऐसा अहसास है जो बेहद खूब सूरत है... आज उसी अहसास को जीने का मन हुआ ...इसलिए चिठ्ठी लिखने बैठ गई हूँ......यह मन ही है जो अपने हिसाब से मन मुताबिक़ देखता सुनता है....मन पर नियंत्रण कर पाना बहुत मुश्किल है .....मैं भी नहीं कर पाती .....और एक अध्यापिका होने के नाते ....बिना लेक्चर दिए भी नहीं रह पाती ......पर यह लेक्चर नहीं है सिर्फ कुछ बीते हुए पलों की पुनरावृत्ति और आने वाले जीवन के कुछ पहलुओं का आभास करना ही है.....सब समय का फेर है ....हमारा प्रारब्ध हमें कितना कुछ दे जाता है.....और हम हैं की उसकी कुछ कद्र ही नहीं करते ...बाद में पछताने के सिवा कुछ हाथ नहीं रह जाता.........फिर समय पलट कर कभी वापस नहीं आता........बेटा अब तुम्हारे जीवन का एक नया अध्याय शुरू हो रहा है.....किसी भी माँ बाप के लिए इस से बड़ी ख़ुशी और कोई नहीं हो सकती....यह हमारा सौभाग्य था..कि तुम जैसी प्यारी सुन्दर और मोह लेनेवाली संतान ने जन्म लेने के लिए हमारा घर चुना..किसी भी अभिभावक को तुम जैसी बेटी पर गर्व हो सकता है.........मुझे वो भी दिन याद है.......जब तुमने पहली बार आँखें खोली...कितनी नन्ही प्यारी और कोमल थी तुम....तुम्हे छूने से भी डर लगता था की कहीं तुम्हे चोट न लग जाये......मुलायम काले बालों से भरा हुआ छोटा सा सर ..बेहद गोरा सफ़ेद रंग.....और बेहद खूबसूरत बड़ी बड़ी आँखें.....जो नानी के नारियल और मिश्री खिलाने का नतीजा माना जा सकता है (ऐसा वो कहती थीं )सभी तुम्हे देख के बेहद खुश थे.....खास कर तुम्हारे पापा ( जिनके लिए तुम आज भी बेहद खास हो )
हर माँ बाप की तरह.... हमारी भी यही ख्वाहिश रही है कि तुम लोग अच्छे से अच्छा करो.....कभी गलत रास्तों पर मत चलो.....और मुझे फख्र है इस बात पर कि तुमने कभी ऐसी शिकायत नहीं होने दी.....हाँ तुमसे ये शिकायत जरूर रही...कि शुरूआती पढाई में तुमने बहुत अच्छा नतीजा नहीं दिखाया और इस बात को लेकर मैं बहुत अपसेट भी रही हूँ.....साथी टीचर्स और कुछ खास रिश्तेदारों के व्यंग्य पूर्ण रिमार्क्स और कटूक्तियां भी सुनी हैं और बेहद दुखी भी हुई हूँ ....पर चलो वो समय भी बीत गया है.....मुझे मालूम है कि तुम्हारे अन्दर पर्याप्त समझदारी ,समय के साथ चलने का जज्बा..,और व्यवहार कुशलता की बारीकियां मौजूद हैं......और यही बातें ज़िन्दगी के कठिन सफ़र को बेहद आसान बना देती हैं.......
हमारे बच्चे हमसे अधिक अच्छे होंगे ...और उनका जीवन भी हमसे अधिक अच्छा होगा यही उम्मीद है......तुम्हारी पीढी के बच्चे हमारी पीढी से ज्यादा समझदार और सयाने हैं.............यही कारण है कि मुझे तुमलोगों की ओर से कोई चिंता नहीं.......ये देख कर अच्छा लगता है कि ......... आज जो कुछ भी तुम बन सकी हो....और बनने की ओर अग्रसर हो.....ये तुम्हारी अपनी सोच.., मेहनत , और जज्बे का ही फल है.......हमें ख़ुशी है कि ,.....अपना सम्पूर्ण योग्यता संपन्न जीवन साथी तुमने स्वयं चुना.......और मुझे अच्छी तरह मालूम है कि मनचाहा जीवन साथी मिल जाने से जीवन की आधी मुश्किलें तो वैसे ही दूर हो जाती हैं......तुम्हारे पापा इसके सबसे अच्छे उदाहरण हैं (आमीन ).....उन्होंने कभी किसी कार्य के लिए मुझे हतोत्साहित नहीं किया ...बल्कि हमेशा अच्छे से अच्छा करने की ही प्रेरणा दी है....(और मैं ऐसा सोचती हूँ की मैंने भी उन्हें निराश तो नहीं ही किया होगा )
मुझे याद है कि तुम्हारे शादी के प्रस्ताव को लेकर मैं कितनी दुविधा में थी.....पर मेरे समझाने पर ....उन्होंने मेरा कितना साथ दिया ... इसे कितनी सहजता से लिया.......और इस बात को कितना महत्व दिया...............तुम्हारी शादी के वक़्त .....सभी छोटे से छोटे और बड़े से बड़े.....हर आयोजन में ......कितनी रूचि और ख़ुशी से भाग लिया उन्होंने.....खरीदारी करते वक़्त मैं उनका उत्साह और....जिज्ञासा देख कर दंग रह जाती थी.....कहीं कोई कमी नहीं रहनी चाहिए........जो दुकान में सबसे अच्छी वस्तु हो.... वही खरीदी जानी है... ..एक एक कपडा जो उनकी प्यारी बिटिया पर सुन्दर लगेगा.....ओह्ह्ह्ह ......(मैं आभारी हूँ उनकी ) और आज वे तुम्हारे परिवार को कितना चाहते हैं........ये सबके सामने है...........जितने स्नेह शील तुम्हारे परिवार के लोग हैं...........उनके लिए उतना ही स्थान..... हमारे दिलों में भी है उनके लिए........
.हाँ ,...ये एक अच्छी बात हुई...हम पारिवारिक पक्ष में जिन मुद्दों को लेकर परेशान थे , चिंतित थे , उनसे हमें...... अपनों परायों की पहचान हो गई.....ऐसा ही कुछ अभी हमने महसूस किया है......उम्मीद तो खैर हमने कभी किसी से नहीं की थी....पर इतनी ना उम्मीदी भी .....कभी नहीं हुई....रिश्तों में मिली तकलीफ .....वक़्त के साथ कम हो जाये यही कामना कर सकते हैं.....कभी कभी न चाहते हुए भी......हम अपने साथ हुई उपेक्षा तिरस्कार आदि भावनाओं को मन ही मन दुहराते रहते हैं बारबार याद करते रहते हैं .........जब कि ऐसा नहीं होना चाहिए......आखिर कार एक समय ऐसा जरूर आएगा जब दिल पर लगने वाली चोट........ टीसता जख्म .......... उतने आवेग के साथ याद नहीं आएगा ........,अपने पाए खोये का हिसाब लगाने बैठें तो यही पायेंगे कि .... हमें जिंदगी में बहुत कुछ ऐसा मिला है जो बहुतों को नहीं मिला.......वैसे ये भी सच है की दुनिया में कोई ऐसा नहीं जिसे सब कुछ मिल गया हो.....सब कुछ मिल जाने के बाद भी बहुत कुछ ऐसा रह ही जाता है.....जो हम पाना चाहते थे......पर चलो कोई बात नहीं.....शायद हम सभी सुख की तुलना में दुःख को ज्यादा महसूस करते रहते हैं ..........और यही हमारे साथ भी हो रहा है.......पर मैं किसी को दोष नहीं देना चाहती......ज़िन्दगी अपनी रफ़्तार से चल रही है और चलती रहेगी....... .ऊपर वाला सब देखता है ............खैर
छोडो .....इन् बातों का कोई अंत नहीं.....
अब तुम अपने जीवन की एक नई पारी शुरू कर चुकी हो....और अब अपने इस परिवार के साथ .....तुम्हारा एक और नया परिवार बन गया है.....जो आने वाले वक़्त में .......तुम्हे इस परिवार से ज्यादा प्रिय हो जायेगा...हमेशा से ऐसा होता चला आया है .......इसमें दो राय नहीं........और होना भी चाहिए......जितना समर्पित तुम उस परिवार के लिए होगी.......उतना ही अच्छा प्रतिफल तुम्हे मिलेगा......अब तुमको मैं और मेरा जैसे शब्द भुला कर हमारा और हम जैसे शब्द याद रखने चाहिए......यही एक ऐसा अहसास है .......जो तुमको सबका प्रिय बनाये रखेगा....और फिर रोहित जैसा प्यारा बेटा तो तुम्हारे साथ है ही......अपना एक स्वतंत्र और गरिमा युक्त व्यक्तित्व बना कर रखना......... पर सबके साथ मिलजुल के.....कभी ऐसा कुछ नहीं होने देना .....जो हमारी छवि को धूमिल करे......आखिर तुम हमारी ही परछाईं हो बेटा......कभी हमसे दूर नहीं हो सकती.....
यह तो सच है कि कोई भी सम्पूर्ण नहीं होता ,......पर हमेशा यह ध्यान रखो कि अपना अच्छा ही पक्ष सभी को दिखाई दे और दूसरों का भी अच्छा ही पक्ष देखो ......सभी के साथ स्नेहिल व्यवहार बना के रखना...........खैर तुम खुद इतनी समझदार हो कि तुम्हे समझाने की जरूरत नहीं.......तुम लोग अपने जीवन में खूब तरक्की करो.....और जहाँ भी रहो...अपने सद्व्यवहार से सबको खुश रखो....यही हमारी कामना है.......
भावावेश में कुछ अनुचित लिख गई होऊं तो अन्यथा मत लेना .....
मम्मी