लिखिए अपनी भाषा में

Monday, March 22, 2021

होली हाय होली

हर साल की तरह इस बार भी अपनी कालोनी में हर घर के दरवाजे चिप्स पापड़ कचरी के ढेर के ढेर फैलाये और सुखाये जाते देख रही हूँ.
...ताबड़तोड़ सभी एक रेस में शामिल हैं.....जैसे कोई प्रतियोगिता चल रही है.....जैसे आलू चावल सब कहीं मुफ़्त में बंट रहे हैं और जल्दी से जल्दी लोग कितना बना लें उसी में लगे हैं.....गुझिया मठरी खुरमें ..नमकपारे तक तो समझ में आता है..... पर मुझे चिप्स पापड़ बनाना कभी नही भाया...पहले मां के बनाये चिप्स पापड़ हमेशा घर में होते थे......कभी कभी ये लगता है कि हमारी पीढ़ी ही आखिरी पीढ़ी है जो ये कर रही है...अब ज्यादातर वर्किंग गर्ल्स के पास इन सबके लिए समय ही नही और....... अब युवा वर्ग को न तली हुई कचरी पापड़ पसंद आते हैं न मीठे खुरमें या गुझिया....एक दो टुकड़े ही खाने के बाद....उन्हें व्यंजन में कैलोरी और ऑयली होने का ज्ञान जाग जाता है....(चाहे डोमिनोज के आईटम जितने भी खा लें).....और मीठी चीजो से तो सबको परहेज है....हमारे बचपन में कई कई कनस्तर भर के गुझियां बनती थी और उतनी ही तेजी से ख़त्म भी हो जाती थी पर अफ़सोस होता है की अब ये सिर्फ देखने भर की हो गई हैं...... उम्रदराज़ लोगो में सभी किसी न किसी बीमारी से ग्रस्त हैं की किसी को मीठा मना है किसी को नमक...तो.कोई मोटापे के डर से नही खाता....और सबसे बढ़चढ़ के महंगाई ने सबको त्रस्त कर रखा है......अब ऐसे में  कोई क्या त्यौहार मनाये????

2016 मार्च

हद है😏😏😏😏सवा सात बजे हैं और अभी घाघरा पुल पर से गुज़र रही है ट्रेन......!!!!!ऊपर की बर्थ पर की महिला अपने दोनों शैतान बच्चों को खाना खिलाने में जुट गई हैं.....जो खा कम रहे हैं "छींट"ज्यादा रहे हैं....गोंडा से ही लगातार कुछ न कुछ खाते चले आ रहे हैं....फिर भी माता जी उनके मुँह में ठूँसती ही जा रही हैं....
शायद उलटी करवा के ही मानेंगी.....गनीमत है मैं काफी दूर बैठी हूँ....और डर के मारे उधर देख नही रही....कि कहीं मैं ही न शुरू हो जाऊँ.....उनकी बर्थ के ठीक नीचे बैठे चार लोगो की सलामती के लिए दुआ कर रही हूँ.....भगवान ही मालिक है उनका....जल्दी से गोमती नगर आये....तो पीछा छूटे.....ये लो..पूरी बोतल उलट दी बन्दे ने.....उफ्फ्फ्फ़ ग़ज़ब की छीछा लेदर मच गई है......😣😣😣😣😣😣

Wednesday, March 10, 2021

होली (2020)

बेहद खुशगवार मूड में रही आज की होली....😊😊😊😊 कोई टेंशन नहीं...एक महीने से बाहर पतिदेव भी होली पर आ गए....😍😍 त्योहार पर जो  चार छः व्यंजन बनाए वो भी हमारे स्वादानुसार काफी गजब के स्वादिष्ट बने....हल्की फुल्की तिलक लगाने भर वाली सूखी होली खेल भी ली गई....
.....
पर इस होली का समापन थोड़ा कष्टप्रद रहा...भोजन के उपरांत रसोई में जाते समय 🙁🙁... महज ठेस लग कर ऊंचा नीचा पांव पड़ जाने से इतनी भयंकर तरीके से नीचे गिरी हूं कि उफ्फ्फफफफफ 😢😢😢😢😢हाथ, पैर, पीठ, कमर सब का क्या हाल है ये तो अब कल सुबह ही पता चलेगा 😠😠😠😠 पर ये तो विश्वास हो चला है कि मोटा होना कई बार फायदेमंद (? ) भी है.... क्योंकि आज मेरी जगह कोई दुर्बल काया होती तो दो चार हड्डियाँ तो जरूर टूटी होतीं....पर सबसे ज्यादा चोट नाक पर लगी है.... जो सूज कर कुप्पा हो गई है (फूल कर कुप्पा कहने से अर्थ का अनर्थ हो जाता है) 😡😡😡😡
.
. आज होली की शुभकामनाएं देने वालों में जरूर दो चार लोग ऐसे रहे हैं जिन्होंने दिल से शुभकामनाएं नहीं दीं... 😔😔😔......