लिखिए अपनी भाषा में

Monday, June 28, 2021

नेपाल यात्रा (23जून2017)

बेहद खूबसूरत नेपाल...... शायद ये मौसम बहुत सही नहीं था इतनी सुन्दर जगह जाने के लिए 😨 क्यों कि बेहद तीखी धूप के कारण इच्छा होते हुए भी बार बार कार से बाहर निकलकर वहां के नैसर्गिक सौंदर्य को आंखों में समेट पाना संभव नहीं था 😒😒😒 फिर भी बिना किसी विशेष परेशानी के जितना हो सका उतना बटोर ही लिया....... पहली बार दुख रहा कि  फोटो ग्राफी की छात्रा रहने के बावजूद मेरे पास इस समय बढिया कैमरा नहीं है........(पतिदेव का मंहंगा निकॉन कैमरा जो एक समय हमारी सबसे बड़ी पूंजी हुआ करता था लगभग 30-32 साल पहले ये बहुत बड़ी बात थी कम से कम हमारे लिए) हजारों फोटोज खींची गई हैं उस कैमरे से...... अब थक कर लपेट लपूट कर आलमारी में पडा है....अपने ढेरों अटैचमेंट.... लेंसेज. और कई चीजों के साथ 😢😢😢😢😢😢 बेचारा!!!!! अब फोटो ग्राफी की पूरी जिम्मेदारी मोबाइल फ़ोन के कैमरे ने ले ली है.....😁😁😁😁 अब जल्दी ही मुझे बढिया कैमरा लेना है

Friday, June 18, 2021

फादर्स डे(2017)

हमारे बप्पा जी😊😊(मेरे श्वसुर जी) का प्रिय ट्रांजिस्टर आज पुनः अपनी उपस्थिति दर्ज करा गया...... सालों पहले मेरी  जेठानी जी ने उन्हें उपहार दिया था और जो हमेशा उनके साथ रहा.... कुछ दवाओं के रिएक्शन के फलस्वरुप उन्होंने अपना काफी समय नेत्रविहीनता की स्थिति में बिताया......परिवार के लगभग सभी भाई बहनों..... बाल बच्चों के विवाह, उनकी संतानों का जन्म आदि बप्पा अपनी आंखों से तो नहीं देख सके...... पर स्पर्शानुभूति से सभी को महसूस किया...... कितने प्यार और उत्सुकता से सभी बहुओं दामादों और नाती पोतों के लिए पूछते रहते थे 😢😢😢आज भी याद आता है तो आंखें भर आती हैं..... लगभग 26-27 साल तक अम्मा ही उनकी आंखें बनी रहीं.....इतना समर्पित जीवन मैंने तो अपने जीवन में नहीं देखा....वो चाहे कहीं भी हों और बप्पा चाहे कितनी भी धीमी आवाज में बोलें अम्मा को सुनाई दे जाता था...... सभी हैरत में पड़ जाते थे....अपनी युवावस्था में रायबरेली के और खजुरगांव स्टेट के बहुत प्रतिष्ठित वकील रहे थे बप्पा जी......पर अंतिम समय में बहुत एकाकी  और लगभग सन्यासी सा जीवन हो गया था उनका......बहुत दुःख होता है कि अपने अपने कार्यों नौकरियों में बंधे हम सब अधिक समय नहीं बिता सके उनके साथ 😩😩😩 पर जब भी आना जाना होता था..... हम दोनों ज्यादा तर समय उनके सान्निध्य में बिताने की चेष्टा करते थे..... ऐसे ही बैठे बैठे श्लोकों की रचना करना... अपने जीवन संघर्ष के विषय में बताना उन्हें अच्छा लगता था 😊 अपने अंतिम समय में काफी रुग्ण हो गये थे.... पूरी तौर पर अम्मा पर निर्भर..... याद आता है उनके दिवंगत होने पर अम्मा बार बार यही कहती थी "पंडित जी हमको भी ले चलिये अपने साथ... वहां आपका ख्याल कौन रखेगा? 😢😢😢शायद इसी वजह से अपने प्रस्थान के ठीक तीन महीने बाद ही उन्होंने अम्मा को भी बुला लिया अपने पास....आज घर के सामानों की झाड़ पोंछ के दौरान बप्पा का ये ट्रांजिस्टर बहुत सारी यादों से रूबरू करा गया 😊😊😊 
फादर्स डे पर बप्पा जी और अम्मा को हम सभी भरे हृदय और नम आँखों से याद कर रहे हैं..... हम सब पर अपना आशीर्वाद बनायें रखें🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏

Monday, June 7, 2021

7जून20

हमेशा अच्छी ही आशा रखना चाहिये।अगर हर आदमी सिर्फ खुद अपने-आप  को ही बचा कर रखने की कोशिश करे तो सब बदल सकता है..... इस समय बस अच्छी खबर और सकारात्मक बातें ही सुनने की इच्छा है.... बस.... पर कुछ लोग इतना बढ़ा चढ़ा कर पैनिक क्रियेट कर के बातें कर रहे हैं कि चिढ़ और दहशत होने लगती है....जब आप खुद तो और कुछ नहीं कर सकते तो हौआ तो मत बनाएं.... हद से ज्यादा ज्ञान मत बांटें...जिसे भी देखो वैज्ञानिक और डॉक्टर बना हुआ है 😡😡😡😡यहां भी कोई अनपढ़ या मूर्ख नहीं है.... ..अब जो भी होगा सामने आएगा ही..... अरे जितना कर पा रहे हैं कर ही रहे हैं....पर प्लीज इस तरह की बातें करके ख्वामख्वाह डराएं मत...और टेंशन न दें..... 🙏🙏🙏

Saturday, June 5, 2021

लाक डाउन डेज़...

पता नही, आज कल मेरा तो मन ही नहीं लग रहा पढने में...ना चित्र बनाने में, ना और कुछ करने में भी..... अजीब सी हताशा जैसी छाई रहती है..... .. चार छः पेज पढने  के बाद बस मन उचट सा जाता है.....इस समय अपनी दिन चर्या से घोर असंतुष्ट हूँ.... जो मेरा सर्वाधिक मन पसंद कार्य है उसे ही बिल्कुल समय नहीं दे पा रही.... दो तीन कैनवस ईजल पर इंतजार कर रहे हैं रंगे जाने का..... देखो कब तक..... 
सबके मन का पंछी खुली हवा में उड़ान भरने को बेकल है, जिसे देखो कहीं न कहीं घूमने की प्लानिंग में लगा है इस मौसम में, एक मैं हूँ, मेरे मन में  लॉक डाउन लगा हुआ है... एकदम कर्फ्यू लगा है.....  कहीं घूमने जाने की या घर से बाहर तक निकलने की कतई इच्छा नहीं हो रही। घर में बंद बंद... अब क्या समझूँ, पंछी को पिंजरे से प्रेम सा हो गया है??? .😒 😖😖😖😖

मैगी बैन(5जून2015)

मैगी पर आरोप लगते ही सब लोग ऐसे पल्ला झाड़ के किनारे हो जा रहे हैं..जैसे मैगी जैसी जहरीली और जानलेवा चीज कोई है ही नहीं.....एक स्कूल टीचर होने के कारण बहुत दिनो से देखती आ रही हूं कि ज्यादातर माताएं.सबसे आसान..जल्दी बनने वाली..और सबसे बड़ी बात बच्चों को बेहद पसंद आने वाली मैगी ही टिफिन में देती रही हैं... ....पर अब देख रही हूं..कि वे ही माताएं...सरासर झूठ बोलती नज़र आ रही हैं....हम तो पौष्टिक भोजन पर विश्वास करते हैं.....अब हमने मैगी लाना बंद कर दिया है....हे भगवान!!!!!!....हर मुंह से मैगी की बुराई......एक दूसरे का सुन सुन.के.....अब हर किसी को मैगी से नफरत......हदहै......यही जनता है ...जो किसी एक के अफवाह उड़ा देने पर.....लाखों लीटर दूध गणेश जी की मूर्ति को पिला डालती है....मुझे पूरा यकीन है कि ये मैगी विवाद किसी सोची समझी साजिश का नतीजा है....इसके जैसा कोई प्रोडक्ट मार्केट में लाने की पूरी तैयारी है........जल्दी ही सामने आयेगा.....

Wednesday, June 2, 2021

आलसी नं वन

हर छुट्टी के एक दिन पहले या शनिवार को यही सोचकर सोती हूँ कि कल सुबह धमाका कर दूँगी...... जरा भी आलस नहीं करूंगी........ सारे बकाया काम निपटा दूँगी जैसे:महीनों से बंद वाशिंग मशीन में सारे कपड़े धुल डालूंगी.......घर का कोना कोना चमका कर रख दूंगी..... . हफ्तों से बुकमार्क लगा कर रखी कोई किताब पढ़ कर ख़त्म कर दूँगी..... ,  ईजल पर लगी अधूरी पेंटिंग्स को पूरा कर डालूंगी....... कोई बढिया सी फिल्म भी देख लूंगी , इनसे-उनसे मिल लूँगी, उनको - उनको कॉल कर लूँगी, रेसिपी कलेक्शन देख कर या निशा मधुलिका से पूछकर कोई स्वादिष्ट सी डिश भी बनाऊँगी, सोमवार को स्कूल में जमा करने वाली टीचर्स डायरी भी तैयार कर लूँगी......... अधूरे पडे ब्लॉग के लिए लेख लिख डालूंगी .......बालों में मेंहदी लगाऊंगी..खूब फ्रेश मूड में दोपहर में दो घंटे सो भी लूंगी...... ये करूंगी वो करूंगी.......(और कुछ भी नहीं करती) 😉😉😉😉😉.. पर अफ़सोस! सारा रविवार पसरे हुए 😑😑सोते हुए या टीवी देखते हुए निकल जाता है........... अब इस उम्र में हॉस्टल लाइफ का आनंद 😂😂😂😂😂😂😂😂😂

है कोई मेरे जैसी आलसी नं वन??? हर समय थकी हुई बिना किसी काम के 😥😥😥😥😥😥हद ही हो गई है उफ्फ!!!!!!! 😟😟😟😟

यादें

हमारा प्रिय "मधुबन"(एक समय में फाइन आर्ट्स कॉलेज और मंच कला संकाय वालों की अपनी कैंटीन... जो हमारे आदरणीय चंचल दाChanchal Bhu द्वारा उनके कार्यकाल में बनाई और बसाई गई थी) 😊😊😊अब"MADHUBAN CAFE " बेहद सुंदर बन गया है.... अब अनगिनत स्वादिष्ट व्यंजन मिलने लगे हैं..किसी भी बाहरी फैशनेबल रेस्तरां की बराबरी करते हुए... .पर वो पहले वाली मासूमियत और शान्ति अब नहीं रही.... अब वहां छोटी सी कैंटीन नही है... और एक रूपये के दो गर्मागर्म समोसे और पानी वाली खट्टी चटपटी चटनी  और चमचम नहीं मिलते.... ..झुंडों में बैठे मुकेश और रफी के गाने गाते हुए फाइन आर्ट्स कॉलेज के छात्र नहीं दिखे☹️☹️ वो दिन नहीं रहे.... अब शायद हम भी तो वो नहीं रहे😢