कुछ अनकहे पल ..कुछ अनकही बातें ......कुछ अनकहे दर्द कुछ अनकहे सुख ......बहुत कुछ ऐसा जो सिर्फ महसूस किया .....किसी से बांटा नहीं . ...बस इतना ही .......
लिखिए अपनी भाषा में
Thursday, September 30, 2021
30.9.16
सामने की सीट पर एक फेमिली है पांच छः लोगों की.... मुंबई जा रहे हैं.... अभी करीब एक घंटे तक टीसी से बकझक हुई है 😠😠 सारे अगल बगल के लोग सकते में आ गये हैं उस महिला का रौद्र रुप देख कर..... गर्मी और उमस से पहले ही सब चिढ़ हुए हैं...... वो बार बार अपनी बेटी से अपने किसी ज़फ़र मामू को फोन लगाने को कह रही है जो शायद रेल्वे की किसी बड़ी पोस्ट पर हैं.... यदि उस महिला का रुआब देखा जाय तो शायद सुरेश प्रभु से एक दो सीढ़ी ही नीचे होंगे......😁😁😁😁😁 पर उस टीसी पर कोई असर नहीं पड़ रहा है...... वो पूरा वसूलने के मूड में है....... परिवार का सबसे छोटा बच्चा जमीन पर बैठ गया है और नीचे पडे जूते चप्पलों में व्यस्त है..... पर किसी को भी उसकी फिक्र नहीं है.... क ई बार जी में आया कि उसकी मां को कहूं कि उसे उठा ले......पर... बस खिड़की की तरफ मुंह घुमा के बैठ गई हूं...... किसी से बात करने को जी नहीं चाह रहा😕😕😕😕
Saturday, September 25, 2021
25.9.21
आज फिर खूबसूरत सुबह ने बांहे फैलाकर स्वागत किया....
उम्र का एक साल बढ़ता है और ज़िंदगी का एक साल घट जाता है... इस घटने बढ़ने के क्रम में कितना कुछ पीछे छूटता चला जा रहा न लौटने के लिए...... और कितना कुछ नया नवेला जुड़ता जा रहा है....नातिन से स्वयं नानी बनने की यह सुखद यात्रा बहुत सुकून दायक है.......
आज साठ साल पूरे कर लिए मैंनें.... खूब सफेदी आ रही है बालों पर....चेहरे पर झाइयां और झुर्रियां भी... ढल ही रहे रोज दर रोज हफ्ता दर हफ्ता.......और अब जीवन ढलान की ओर ही है....बस्सससस...... ❤️शुरू में एकाध सफेद बाल देखकर भी एक अजीब सी बेचैनी होती थी हालांकि रोज आईने के सामने खुद को दिनों दिन बुढापे की ओर सरकते हुए देखती हूँ..... देख रही हूँ...... पर अब सब ठीक है...☺️ वाकई बहुत हिम्मत चाहिये..... खुद का पकना स्वीकार करने के लिये....दिनों दिन खुद को बुढाते हुए देखना..... अंदर ही अंदर बहुत कुछ होता है।
पार्टी - फंक्शन मे अपने जैसा कोई न दिखे तो मन कुछ बदल सा जाता है...अपनी हम उम्र लेडीज को काले रंगे हुए बालों और मेंटेन स्लिम ट्रिम कद काठी के साथ देख कर मुझे जलन तो नहीं होती बस पर थोड़ा बहुत अजीब सा जरूर लगता है....पर सोचती हूँ..... ठीक है... जैसा है वैसा है.....
हालांकि अपने लुक, साइज, शेप को लेकर मैं कभी खास परवाह नहीं करती, तब भी नहीं की जब करने की उमर थी....सच कहूँ तो न तब इतना समय था न पैसा.... और अब भी बहुत कुछ वैसा ही है..... कुछ खास नहीं बदला... पर अब शौक नहीं रहा.... लेकिन बुरी तरह चिढ जाती थी जब कोई कहे कि वजन कम कर लो... कपडे जरा फैशनेबल बनवा लो... स्टाइलिश जूते चप्पल क्यों नहीं पहनती??? और अब तो मुझे कोई फर्क नहीं पडता मोटी हूं तो हूं... बूढी हो रही हूं तो??? वो तो सबको होना है...
मैं भी खुद से बेहद प्यार करती हूं... इस हद तक करती हूँ कि सभी ये सोचते हैं कि मैं अंतर्मुखी हूँ.... घमंडी हूँ.... अपने आप में रहने वाली हूं... और मुझे अकेले रहना अच्छा लगता है।
खुद से बातें करना, खुद को सराहना.... खुद को प्यार भरी नजरों से देखना और खुद से ही अपने बालों में हाथ फेरना मुझे पसंद है....मैं अपनी फेवरिट हूँ.... . इसके लिए मैं किसी की मोहताज नही...
मैंने अपनी तमाम प्रेम कविताएं खुद के प्रेम में लिखी हैं....
Sunday, September 19, 2021
अन्यमनस्कता😔😔😔😔
इस दुनिया में कुछ भी स्थायी नही हैं... सिवा अपने मन की खुशी के
अब तो लगता है बस वही करो जो अपना जी चाहे....
किसी की सुनने को मन नहीं....
बहुत जी लिए दूसरों की मर्ज़ी से...
.
आज.....
अजीब सुस्त सी सुबह... ठहरा सा गीला गीला सा मौसम
अलसाई चादर... औंधी तकिया
ईजल पर पेंटिंग का कैनवास अधूरा...
रंगों की पैलेट, रंग, ब्रुश
चित्र पूरा किए जाने के लिए मेरा इंतज़ार करते हुए....
घर कुछ बिखरा बिखरा सा...
पर समेटने संवारने की कोई इच्छा नहीं....
घड़ी की लगातार टिक टिक...
पता नहीं लगातार चलते चलते ये ऊबती भी नहीं
.
दीवार पर कई दिनों की बारिश ने गजब की चित्रकारी कर दी है....
तरह तरह की आकृतियां बन रही हैं
कुछ चेहरे, कुछ बादल, कुछ पेड़....
या इससे ज्यादा मैं सोच नहीं पाती...
मेरी दुनिया, मेरा दायरा यहीं तक है शायद...
.
फिक फिक फिक फिक.. हक हक हक हक
अजीब सी पंखे की आवाज
निरंतरता के साथ....
मन मौसम मिज़ाज
कुछ ऊबा सा है आजकल...
और मैं तो वैसे ही इतने स्लो हूँ कि अकेले दौड़ूं तब भी सेकेंड ही आऊंगी। 😏😏😏
.
दो दिनों की अप्रत्याशित छुट्टी के बावजूद
अब
संडे का भी कत्ल शुरु।
लेटे बैठे ग्रीन टी, नींबू पानी निगल चुकी...
आंख मूंदे मूंदे 30 / 40 स्टेटस लाइक कर चुकी
अब फिर से अंगड़ाई और जम्हाई दोनो आ रही है...
आंखें बंद करूं तो शायद सो ही जाऊँ....
एकदम से लग रहा कि अभी चाय पी ही नही....
कोई चाय बना के देने वाला नहीं....
जो खाना पीना है खुद ही करो.
चंडीपाठ से लेकर मोचीगिरी तक 😏😏😏😏
काम की फेहरिस्त लंबी है जो निपटाने है पर मालूम है निपटेगा आज भी कुछ नही।
नहा लें आज हम तो वही उपकार होगा हमारा.... खुद पर😏😏😏😏😏
काहिली की भी कोई हद होती है क्या????
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