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Saturday, September 25, 2021

25.9.21

आज फिर खूबसूरत सुबह ने बांहे फैलाकर स्वागत किया....
 उम्र का एक साल बढ़ता है और ज़िंदगी का एक साल घट जाता है... इस घटने बढ़ने के क्रम में कितना कुछ पीछे छूटता चला जा रहा न लौटने के लिए...... और कितना कुछ नया नवेला जुड़ता जा रहा है....नातिन से स्वयं नानी बनने की यह सुखद यात्रा बहुत सुकून दायक है....... 
         आज साठ साल पूरे कर लिए मैंनें.... खूब सफेदी आ रही है बालों पर....चेहरे पर झाइयां और झुर्रियां भी... ढल ही रहे रोज दर रोज हफ्ता दर हफ्ता.......और अब जीवन ढलान की ओर ही है....बस्सससस...... ❤️शुरू में एकाध सफेद बाल देखकर भी एक अजीब सी बेचैनी होती थी हालांकि रोज आईने के सामने खुद को दिनों दिन बुढापे की ओर सरकते हुए देखती हूँ..... देख रही हूँ...... पर अब सब ठीक है...☺️ वाकई बहुत हिम्मत चाहिये..... खुद का पकना स्वीकार करने के लिये....दिनों दिन खुद को बुढाते  हुए देखना..... अंदर ही अंदर बहुत कुछ होता है। 
           पार्टी - फंक्शन मे अपने जैसा कोई न दिखे तो मन कुछ बदल सा  जाता है...अपनी हम उम्र लेडीज को काले रंगे हुए बालों और मेंटेन स्लिम ट्रिम कद काठी के साथ देख कर मुझे जलन तो नहीं होती बस पर थोड़ा बहुत अजीब सा जरूर लगता है....पर सोचती हूँ..... ठीक है... जैसा है वैसा है..... 
          हालांकि अपने लुक, साइज, शेप को लेकर मैं कभी खास परवाह नहीं करती, तब भी नहीं की  जब करने की उमर थी....सच कहूँ तो न तब इतना समय था न पैसा.... और अब भी बहुत कुछ वैसा ही है..... कुछ खास नहीं बदला... पर अब शौक नहीं रहा.... लेकिन बुरी तरह चिढ जाती थी जब कोई कहे कि वजन कम कर लो... कपडे जरा फैशनेबल बनवा लो... स्टाइलिश जूते चप्पल क्यों नहीं पहनती??? और अब तो मुझे कोई फर्क नहीं पडता मोटी हूं तो हूं... बूढी हो रही हूं तो??? वो तो सबको होना है... 
मैं भी खुद से बेहद प्यार करती हूं... इस हद तक करती हूँ कि सभी ये सोचते हैं कि मैं अंतर्मुखी हूँ.... घमंडी हूँ.... अपने आप में रहने वाली हूं... और मुझे अकेले रहना अच्छा लगता है।
खुद से बातें करना, खुद को सराहना.... खुद को प्यार भरी नजरों से देखना और खुद से ही अपने बालों में हाथ फेरना मुझे पसंद है....मैं अपनी फेवरिट हूँ.... . इसके लिए मैं किसी की मोहताज नही... 
मैंने अपनी तमाम प्रेम कविताएं खुद के प्रेम में लिखी हैं.... 

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