लिखिए अपनी भाषा में

Tuesday, May 16, 2023

मैं

सब झूठ है.... 
बरसों पहले किसी ने बताया था
 कि  भिगोए बादाम रोज सुबह खाने से बुद्धि तेज होती है......
पर जिसका मेक ही गड़बड़ हो उसका क्या  ? 
लोगों की बनावटी बातें समझ नहीं आतीं......
बातों के पीछे छिपे मकसद समझ नहीं आते...
 प्रेम से उठा हाथ गला दबोचने आ रहा है या गले लगाने?? 
 आज तक समझ नहीं आया .... 
 आस्तीनों में कौन सा सांप है समझ नहीं आता..... 
 धोखा खाने के बाद भी अपनी ही गलती लगती है...... 

समझ में नहीं आ रहा कि क्या करूँ 
ताकि समय और जमाने के साथ चल सकूँ.... 
लोग कितने आगे बढ़ गये
 मैं वहीं की वहीं रह गई जैसे..... 
सदियों  पहले की सोच वाली  ! 
बकलोल की बकलोल 
बेवकूफ़ की बेवकूफ़!!!!!! 

Saturday, May 6, 2023

यूंही

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. पुरानी यादों के साथ एक बहुत अजीब बात होती है, 
वो चाहें कितनी भी अच्छी हों या बुरी... 
आंखों में आंसू भर ही देती हैं.....
आज फिर से मन भरा हुआ है ... 
डर लगता है जो घाव सूखने को छोड़ा है उस पर जमी पपड़ी उखड़ ना जाए..... 
   शायद  मैं पहले से बदल गई हूँ...... 
  शिकायत भी नहीं करती अब....  
  मेरे पास एक  समय बहुत सी शिकायतें थीं.... 
  पर अब मन नहीं होता कुछ भी कहने का.. 
  ये अच्छा है कि यूँ ही समय भी बीतता रहता है...... 
  बीतता ही जा रहा है , 
  मानव मन क्यों अपने से अलग लोगों को स्वीकार नहीं कर पाता है? 
 वो क्यों सबको अपने ही रंग में रंगना चाहता है? 
 सब तो एक से नहीं हो सकते.... 
 एक ही हाथ की हर उंगली भीअलग  अलग तरह की होती है...
 इतना द्वेष क्यों और किसलिए?? 
 कौन कब तक रहने को आया है यहाँ?? 
 और ये बात जितनी जल्दी समझ आ जाए अच्छा है ………
 ज़िंदगी में आया हर शख़्स एक एक कर वापस चला जाएगा और ....... वापसी का टिकट तो  सब कटवा कर आए है
जाना तो सबको ही है ना!

......

मैं नास्तिक तो नहीं हूँ 
पर
पूरी तरह से तो आस्तिक भी नहीं हो सकी मैं....
 दुविधा बनी हुई है,
बहुत से सवाल हैं..
होने और न होने के बीच.. 
कर पाने और न कर पाने के मध्य.... 
समर्थता और असमर्थता के बीच.. 
और लगता भी नहीं 
कि इस अटपटी स्थिति से
 कभी उबर सकूँगी..... 

Wednesday, May 3, 2023

......

आजकल कैसा अजीब सा मौसम है😕ना कुछ लिखने का मन है न पढने का.......तीन किताबों में बुक मार्क लगा कर सिरहाने रख छोड़ा है कि पता नहीं कब कौन सी पढने का मन करे😏😏😏 एकदम बोरियत से भरे दिन....एक सी रूटीन वही एक से थके ऊबे चेहरे.....कोई उत्साह नहीं बस  समय बीत रहा है जैसे तैसे! 
बस यही सुकून है कोई तकलीफ नहीं....... 😊😊😊😊😊😊😊😊😊पर एक बोझिल सा मूड बना हुआ है कई दिनों से.... शायद मौसम का असर है... अजीब सिरफिरा उदास मौसम...
. 28 अप्रैल 23