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Tuesday, July 27, 2021

टर्किश सीरियल

मनकापुर जैसी छोटी सी जगह में अक्सर नेटवर्क की दिक्कत बनी रहती है....दो चार दिन ठीक ठाक चलने के बाद एक दो दिन सुन्न मृतप्राय स्थिति में रहता है....रात में 12-1 बजे से लेकर सुबह 5-6 बजे तक तेज गति से चलता है फिर धीरे धीरे सुस्ती छाने लगती है....
      इस पूरे लॉकडाउन के दौरान कई टर्किश सीरियल देख डाले..... जब तक नेटवर्क ने साथ दिया....मुझे अच्छे लगते हैं टर्किश सीरियल.....अभी एक हफ्ते से "कोसेम सुल्तान" देख रही हूँ...तुर्की के उस्मानिया सल्तनत पर आधारित कहानी..... सभी कलाकारों का जबरदस्त अभिनय.....हद से ज्यादा खूबसूरत ड्रेसेज, जो बिल्कुल भी बनावटी नहीं लगते..... ज्यादा तर शूटिंग एपिसोड 30 तक टॉपकोपी पैलेस, इस्तानबुल में ही की गई है जो सुल्तानों के वास्तविक महल हैं..... और जो सेट्स बनाए गए हैं वो भी बेहद खूबसूरत...... डायलॉग्स उर्दू में हैं पर काफी कुछ समझे जा सकते हैं...."बेरेन साट"बेहद खूबसूरत टर्किश हीरोइन तो लाजवाब लगी हैं कोसेम सुल्तान के रोल में 😊😊😊😊
     14-15 साल की कोसेम सुल्तान का रोल एक अन्य अभिनेत्री ने किया था.... 16-17 साल की उम्र लेकर  35-36 की उम्र तक बेरेन साट ने ये रोल निभाया है.......
        अब 31 वें एपिसोड से कोसेम सुल्तान को प्रौढ़ दिखाने के लिए दूसरी हीरोइन को ले लिया गया है..... बस यहीं से मेरा मन उचट रहा है सीरियल से......ये हीरोइन न तो बेरेन साट जैसी खूबसूरत है न ही उसके जैसा अभिनय कर पा रही है 😏😏😏 डबिंग में आवाज भी बदल दी गई है.... जो एक अभिनेत्री अभी तक खलनायिका जैसा रोल कर रही थी..... उसकी आवाज़ अब कोसेम सुल्तान का रोल कर रही अभिनेत्री को दे दी गई है...इतने दिनों से जो एक आदत सी हो गई थी इस सीरियल की .....अब मन से उतर रहा है 😖😖😖.....

Saturday, July 17, 2021

🤔

कितना अच्छा होता  कि हर  इंसान की कहानी...हजारो दिक्कतें झेलते हुए........सैकड़ों मुसीबतें उठाने के बाद .....दुःख दर्द से गुजरते हुए.....इस वाक्य पर आकर ख़त्म होती......कि..... फिर वे सब सुख से रहने लगे........

Saturday, July 10, 2021

उफ्फ😏😘

सच में यार ,ये फेसबुक और वाट्सैप बहुत समय खा जाते हैं.... ....रात में 12 बजे तक आन लाइन....फिर सुबह 5 बजे  आंखें खुलते ही नेट आन....और हर पांच दस मिनट में एक बार फोन पर नजर..... स्कूल में भी जब बैग छुओ तो एक नजर फोन पर.... फ्री पीरियड में भी फोन हाथ में...... रसोई में खाना बनाते समय फोन बगल में रैक पर......कुछ लिखने पढने का काम करने बैठो तो फोन सामने.....दो महीने  से  नई नकोर 4-5 किताबें  और 2 मैग्जीन आई रखीं हैं और उन्हें सिर्फ पलट कर देख लेने के अलावा पढ़ने का समय नहीं  निकल पाया .... अभी तक😀😀😀..... ईजल पर पेंटिंग  के लिए कैनवस सेट करके रखा है अभी पेंट करने का मूड नहीं  बन रहा😕😕😕😕यहां तक कि अपनी पसंद के दो तीन सीरियल (जो जिंदगी चैनल पर आते हैं) देखते वक्त भी, फोन हाथ में.......और मैं ही नहीं  मेरे फेसबुकिये मित्र  भी बराबर जमे रहते हैं 😀😀😀😀 ये उनके थोडी थोडी देर के अपडेट देख कर पता  चलता रहता है 😂😂😂😂 टीवी  चलता  रहता है.... और सब फोन में घुसे रहते हैं....कमरे में... बेड पर.... .बालकनी में .... डायनिंग टेबल पर..... टॉयलेट में......ट्रेन में, बस में हर समय सबके हाथ में फोन..... यहां तक कि सब पलंग के उसी छोर पर सोना पसंद करते हैं जिधर स्विचबोर्ड लगा हो...... और जब तक आंखें नींद  से बोझिल न हो जाएँ  फोन हाथ में....... या पटापट हाथ से छूट कर मुंह पर न गिरने लगे फोन ताके जा रहे हैं 😕😕😕😕😕 हद हो गई है.....  एक नशा सा चढ़ा  रहता है सभी को😴😴😴पता नहीं  क्या  देखते हैं और किस चीज का इंतजार रहता है इस ससुरे फोन में..... न छोड़ते बन रहा है न रखते......बच्चों को क्या कोई डांटे ??? .... जब अपना ही ये हाल है😬😬😬 सांप छछूंदर वाली गति है..... 😯न उगला जा रहा है न निगला जा रहा है 😡😡😡😡
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(पुरानी पोस्ट)

Friday, July 9, 2021

स से समोसा (9-7-21)

~ समोसे की आत्मकथा ~

मैं समोसा हूँ ..... छोटा सा तिकोना समोसा

ब्रह्माण्ड के किसी भी हलवाई की दुकान पर दो चीजें होना जरूरी है वर्ना वह दूकान हलवाई की दूकान नहीं कहलाती....पहला तो हलवाई खुद और दूसरा मैं यानि कि समोसा !

मैं संसार की एकमात्र ऐसी रचना हूँ जिसके तीन कोने होने के बावजूद भी शान से सीना तान कर खड़ा हो जाता हूँ .....हलवाई की दुकान पर जब मुझे भर कर रखा जाता है तो तले जाने से पहले मैं और मेरा पूरा ग्रुप पंक्तिबद्ध रूप से यूँ ट्रे में खड़े दिखता हैं मानो सफ़ेद वर्दी पहने जवान सावधान की मुद्रा में खड़े होकर गार्ड ऑफ़ ऑनर दे रहे हों 

अपने इसी शाही अन्दाज़ के कारण करोड़ों वर्षों से मैं स्नैक फ़ूड का अघोषित सम्राट हूँ और अपनी दो महारानियों यानी कि हरी चटनी और लाल चटनी के साथ फूडीयों के दिलों में राज करता हूँ.

मैं अमीर-गरीब में फर्क नहीं करता.....एयरपोर्ट लाउंज की फैंसी लुटेरी कॉफ़ी शॉप में "टू समोसास फॉर टू हंड्रेड फिफ्टी रूपीज़" में भी मिलता  हूँ और डाकखाने के सामने टीन के पतरे को लोहे की तार के साथ बिजली के पुराने खम्भे के साथ बाँध कर बनायी गई टपरी पर “दस के दो” भी मिलता हूँ......ताज़ होटल की चाँदी की प्लेट में भी परोसा जाता हूँ और पुल के नीचे वाले ठेले पर अख़बार में लिपटा हुआ भी मिलता हूँ ......मल्लब कुल मिला कर बड़े वाले सेठ जी और सेठजी के घर का नौकर दोनो मेरा स्वाद लेते है...थ्रू देयर ऑन प्रॉपर चैनल !

सड़क के किनारे किसी ठेले पर छोले और चटनी के साथ मेरा स्वाद लेते हुए किसी नयी नयी जॉब पर लगे हुए कूरियर कम्पनी के डिलीवरी बॉय के फ़ोन पर जब कॉल आती है और वो सामने से रिप्लाई करता है कि “मैं लंच कर रहा हूँ” तो क़सम से इतना प्राउड फ़ील होता है कि मेरे अंदर के आलू “अजीमो शान शहंशाह” वाला बैकग्राउंड म्यूज़िक चला कर नाचने लगते हैं.....बस यूं समझिये कि जहाँ कुछ भी खाने को नहीं मिलता वहां पर भी मैं  यानी कि समोसा हमेशा प्राणरक्षक का काम करता हूँ. 

जिस प्रकार मनुष्य के जीवन में मौत और दूकान में ग्राहक के आने का कोई निश्चित समय नहीं होता.... ठीक ऐसे ही मुझे खाने का भी कोई निश्चित समय नहीं है.....

लखनऊ-बनारस ,फर्रुखबबद में मुझे सुबह-सुबह नाश्ते में खाया जाता है.....देशभर की फ़ैक्टरियों, कम्पनियों की कैंटीन में तो मुझे दिन भर खाया जाता है.....स्कूल कॉलेजों की कैंटीन में मैं अनगिनत बनती बिगड़ती प्रेम कहानियों का गवाह बना हूँ..... इन कैंटीनों की कड़ाही में मेरा दिन भर....निरंतर उत्पादन होता ही रहता है !

लेबर को ओवरटाइम का पैसा भले ही बीस रुपए कम दे दो पर बीच में एक ब्रेक लेकर चाय के साथ दुई समोसा खिला दो फिर देखी कैसे लेंटर डलने का काम भाँय से निपटता है.

दिल्ली में मुझे मैश किए हुए आलू से भरा जाता है तो पंजाब में कटे हुए चौकोर आलुओं से.....मुम्बई वाले मुझे पाव के बीच में रख कर “समोसा पाव” बना देते हैं और चेन्नई-बैंगलोर वाले मेरा रूप बदल कर प्याज़ की भरावन के साथ मेरे खोल को एनवेलप की तरह चपटा आकार देते हुए बंद करते हैं और बिल्कुल क्रंची रखते हैं.....वहीं भारत के बाहर खाड़ी देशों में मुझमें कीमा भर कर मांसाहारी रूप भी दिया जाता है तो दूसरी ओर Haldiram's International वाले मुझे मटर समोसा, काजू समोसा, पनीर समोसा आदि जैसे अटरंगी वेरीयंट में बनाते हैं !

देश भर में कहीं भी किसी स्कूल में निरीक्षक आ जाएँ, किसी कम्पनी में ऑडिटर आ जाएँ, दुकान पर कोई पुराना ग्राहक ख़रीदारी करने आ जाए तो ट्रे में चाय के कप के साथ मेरा होना उतना ही स्वाभाविक है जितनी कि सेटमैक्स पर बार बार सूर्यवंशम का आना......फिर चाहे चाय के साथ चिप्स, बिस्किट, भुजिया कुछ भी हो पर अतिथि के लिए “अरे ! एक समोसा तो लीजिए” का आग्रह सम्बोधन एक सम्मान सूचक वाक्य माना जाता है.

भारत के राष्ट्रीय स्नैक की पदवी के लिए चाहे तो कोई सर्वे करवा लीजिए चाहे वोटिंग, मेरा दावा है कि इस पदवी पर मेरा चुनाव होना 100% पक्का है......यह मैं नहीं कह रहा हूँ बल्कि विश्व भर में मेरे करोड़ों चाहने वाले कह रहे हैं ! 

आपका अपना ..... समोसा साथी..😊

🙏🙏🙏🙏

Wednesday, July 7, 2021

😔😔

आज कल
 शब्द मौन से हो रहे हैं मेरे 
कुछ लिखने का मन ही नहीं हो रहा है
 बस समय बीत रहा है... 
जैसे तैसे..... 
बस यही सुकून है, 
कि कोई तकलीफ नहीं....
किसी भी तरह की...
जब रिश्तों से 
गर्माहट कम होने लगे वैसी कंडीशन 
एक ऊबा हुआ 
उकताया हुआ सा पल 
जब रिश्ते कुम्हलाने से लगते हैं
और उनके फिर से 
हरा होने की 
कोई गुंजाइश नजर नहीं आती 
कुछ पुराने दोस्त 
परिचित 
जिनसे मिलना टलता ही जा रहा है.... 
पता नहीं ये टाल-मटोल कब तक चलेगी?? 
पता नहीं हम उन्हें टाल रहे हैं 
या वो हमें.... 
प्रतीक्षा समय को खींच कर 
लंबा बहुत लंबा कर देती है... 

Sunday, July 4, 2021

शोभा का ट्रांसफर (4.7.16)

आज गर्मी की लंबी (!!) छुट्टियों के बाद स्कूल का पहला  दिन...... खुशी कम अपनी एक प्यारी सखी से थोड़ा  दूर होने का दुःख ज्यादा  है.... पति के स्थानांतरण के कारण उन्हें बेंगलुरु जाना पड़ा है.... बच्चों की आगे की पढ़ाई के लिए  भी संभवतः वहां अच्छा माहौल मिलेगा.... उम्र में मुझसे  काफी  छोटी होते हुए भी शोभा से बहुत अधिक अटैचमेंट रहा है हम सबका....कुछ दिनों पूर्व  मेरे गुड़गांव  प्रवास के दौरान फोन पर ही रो पडना मुझे अंतर्मन तक भिगो गया...... सभी टीचर्स  की दुलारी... मैं ही नहीं  मुझे लगता है सभी  उसे मिस कर रहे होंगे😊😊😊खैर ये तो जीवन है.... मिलना बिछुड़ना तो लगा ही रहता है...... अब तो संपर्क  के इतने साधन हैं कि सैंकड़ों  मीलों  की दूरी पलक झपकते पार की जा सकती  है...... बस अफसोस यही है कि जाते समय मुलाकात नहीं  हो सकी😑😑😑😑😑 चलो कोई  नहीं ..... जल्दी ही मुलाकात  होगी... इसी उम्मीद  में हूं😁😁😁😁😁😁😁😁 आगत का स्वागत  करो.....