सच में यार ,ये फेसबुक और वाट्सैप बहुत समय खा जाते हैं.... ....रात में 12 बजे तक आन लाइन....फिर सुबह 5 बजे आंखें खुलते ही नेट आन....और हर पांच दस मिनट में एक बार फोन पर नजर..... स्कूल में भी जब बैग छुओ तो एक नजर फोन पर.... फ्री पीरियड में भी फोन हाथ में...... रसोई में खाना बनाते समय फोन बगल में रैक पर......कुछ लिखने पढने का काम करने बैठो तो फोन सामने.....दो महीने से नई नकोर 4-5 किताबें और 2 मैग्जीन आई रखीं हैं और उन्हें सिर्फ पलट कर देख लेने के अलावा पढ़ने का समय नहीं निकल पाया .... अभी तक😀😀😀..... ईजल पर पेंटिंग के लिए कैनवस सेट करके रखा है अभी पेंट करने का मूड नहीं बन रहा😕😕😕😕यहां तक कि अपनी पसंद के दो तीन सीरियल (जो जिंदगी चैनल पर आते हैं) देखते वक्त भी, फोन हाथ में.......और मैं ही नहीं मेरे फेसबुकिये मित्र भी बराबर जमे रहते हैं 😀😀😀😀 ये उनके थोडी थोडी देर के अपडेट देख कर पता चलता रहता है 😂😂😂😂 टीवी चलता रहता है.... और सब फोन में घुसे रहते हैं....कमरे में... बेड पर.... .बालकनी में .... डायनिंग टेबल पर..... टॉयलेट में......ट्रेन में, बस में हर समय सबके हाथ में फोन..... यहां तक कि सब पलंग के उसी छोर पर सोना पसंद करते हैं जिधर स्विचबोर्ड लगा हो...... और जब तक आंखें नींद से बोझिल न हो जाएँ फोन हाथ में....... या पटापट हाथ से छूट कर मुंह पर न गिरने लगे फोन ताके जा रहे हैं 😕😕😕😕😕 हद हो गई है..... एक नशा सा चढ़ा रहता है सभी को😴😴😴पता नहीं क्या देखते हैं और किस चीज का इंतजार रहता है इस ससुरे फोन में..... न छोड़ते बन रहा है न रखते......बच्चों को क्या कोई डांटे ??? .... जब अपना ही ये हाल है😬😬😬 सांप छछूंदर वाली गति है..... 😯न उगला जा रहा है न निगला जा रहा है 😡😡😡😡
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(पुरानी पोस्ट)
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