लिखिए अपनी भाषा में

Wednesday, July 7, 2021

😔😔

आज कल
 शब्द मौन से हो रहे हैं मेरे 
कुछ लिखने का मन ही नहीं हो रहा है
 बस समय बीत रहा है... 
जैसे तैसे..... 
बस यही सुकून है, 
कि कोई तकलीफ नहीं....
किसी भी तरह की...
जब रिश्तों से 
गर्माहट कम होने लगे वैसी कंडीशन 
एक ऊबा हुआ 
उकताया हुआ सा पल 
जब रिश्ते कुम्हलाने से लगते हैं
और उनके फिर से 
हरा होने की 
कोई गुंजाइश नजर नहीं आती 
कुछ पुराने दोस्त 
परिचित 
जिनसे मिलना टलता ही जा रहा है.... 
पता नहीं ये टाल-मटोल कब तक चलेगी?? 
पता नहीं हम उन्हें टाल रहे हैं 
या वो हमें.... 
प्रतीक्षा समय को खींच कर 
लंबा बहुत लंबा कर देती है... 

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