कुछ अनकहे पल ..कुछ अनकही बातें ......कुछ अनकहे दर्द कुछ अनकहे सुख ......बहुत कुछ ऐसा जो सिर्फ महसूस किया .....किसी से बांटा नहीं . ...बस इतना ही .......
लिखिए अपनी भाषा में
Wednesday, February 7, 2024
मम्मी की याद में... 2024
Tuesday, February 6, 2024
यूं ही....
आज भी मेरे पापा के घर पर उन्हीं की नेमप्लेट लगी है जबकि उनको गए बरसों बीत गए हैं.... न पापा हैं न मम्मी 😢😢
जाने वाले अपने पीछे अपने निशां छोड़ जातें हैं.....अब ये उनके पीछे रह गए लोगों पर ही निर्भर करता है... कि वो उनकी यादों को संजो कर रख पाते हैं या वक़्त की निर्मम परतों के पीछे अदृश्य होने देते हैं....
वैसे आज की पीढी इस मामले में इतनी भावुक नहीं है....जिन चीजों को वर्तमान और एक या दो पीढ़ी तक बहुत आत्मीयता और हिफाजत से सहेज कर रखा जाता है.... वो चीजें उसके बाद वालों के लिए कबाड़ मे गिनी जाने लगती है.....😟😟😟😟ये मेरा निजी अनुभव है
Monday, January 8, 2024
उन्होंने
चाँद को चांँद नहीं रहने दिया
उससे
हमारे
सारे रिश्ते ख़त्म कर दिए
बचपन के मामा
जवानी का महबूब....
उनकी
महत्वाकांक्षा की भेंट चढ गये...
सब जान गए हैं कि
चाँद सिर्फ ऊबड़ - खाबड़ नीरस पत्थरों का ढेर मात्र है
जहाँ हवा पानी तक नहीं.....
हमारे बचपन की
चरखा कातती बुढिया
चाँद के बदसूरत
गड्ढों में दफ्न हो गयी.....
अब बच्चों को चंदामामा में कोई रूचि नहीं....
गर्मी के दिनों में खुले आसमान के नीचे अब कोई नहीं सोता,
ध्रुव तारे और सप्तऋषियों को
उनींदी आंखों से देखते देखते कहानियां सुनाने वाली
वो दादी - नानी भी लुप्तप्राय हैं.....
सच
कुछ सच्चाइयांँ
बड़ी डरावनी और
बदसूरत होती हैं !!