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Friday, June 18, 2021

फादर्स डे(2017)

हमारे बप्पा जी😊😊(मेरे श्वसुर जी) का प्रिय ट्रांजिस्टर आज पुनः अपनी उपस्थिति दर्ज करा गया...... सालों पहले मेरी  जेठानी जी ने उन्हें उपहार दिया था और जो हमेशा उनके साथ रहा.... कुछ दवाओं के रिएक्शन के फलस्वरुप उन्होंने अपना काफी समय नेत्रविहीनता की स्थिति में बिताया......परिवार के लगभग सभी भाई बहनों..... बाल बच्चों के विवाह, उनकी संतानों का जन्म आदि बप्पा अपनी आंखों से तो नहीं देख सके...... पर स्पर्शानुभूति से सभी को महसूस किया...... कितने प्यार और उत्सुकता से सभी बहुओं दामादों और नाती पोतों के लिए पूछते रहते थे 😢😢😢आज भी याद आता है तो आंखें भर आती हैं..... लगभग 26-27 साल तक अम्मा ही उनकी आंखें बनी रहीं.....इतना समर्पित जीवन मैंने तो अपने जीवन में नहीं देखा....वो चाहे कहीं भी हों और बप्पा चाहे कितनी भी धीमी आवाज में बोलें अम्मा को सुनाई दे जाता था...... सभी हैरत में पड़ जाते थे....अपनी युवावस्था में रायबरेली के और खजुरगांव स्टेट के बहुत प्रतिष्ठित वकील रहे थे बप्पा जी......पर अंतिम समय में बहुत एकाकी  और लगभग सन्यासी सा जीवन हो गया था उनका......बहुत दुःख होता है कि अपने अपने कार्यों नौकरियों में बंधे हम सब अधिक समय नहीं बिता सके उनके साथ 😩😩😩 पर जब भी आना जाना होता था..... हम दोनों ज्यादा तर समय उनके सान्निध्य में बिताने की चेष्टा करते थे..... ऐसे ही बैठे बैठे श्लोकों की रचना करना... अपने जीवन संघर्ष के विषय में बताना उन्हें अच्छा लगता था 😊 अपने अंतिम समय में काफी रुग्ण हो गये थे.... पूरी तौर पर अम्मा पर निर्भर..... याद आता है उनके दिवंगत होने पर अम्मा बार बार यही कहती थी "पंडित जी हमको भी ले चलिये अपने साथ... वहां आपका ख्याल कौन रखेगा? 😢😢😢शायद इसी वजह से अपने प्रस्थान के ठीक तीन महीने बाद ही उन्होंने अम्मा को भी बुला लिया अपने पास....आज घर के सामानों की झाड़ पोंछ के दौरान बप्पा का ये ट्रांजिस्टर बहुत सारी यादों से रूबरू करा गया 😊😊😊 
फादर्स डे पर बप्पा जी और अम्मा को हम सभी भरे हृदय और नम आँखों से याद कर रहे हैं..... हम सब पर अपना आशीर्वाद बनायें रखें🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏

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