भुलाना नहीं चाहती ........................
कभी कभी सोचती हूँ के मैं इतना सब जो लिख रही हूँ वो क्यों लिख रही हूँ............
मैं कोई इतनी बड़ी हस्ती तो नहीं कि मेरे बारे में कोई दिलचस्पी ले या मेरे बारे में जान ना चाहे ...........
पर ये तो तय है कि इतनी सारी बाते याद करने में किसी फिल्म का सा मज़ा आरहा है ......
जब लिखना शुरू किया था तो समझ नहीं पा रही थी कि क्या लिखूं ???
पर जब लिखने बैठी हूँ तो कितनी ही बातें घुमड़ घुमड़ के आ रही हैं....
.कि बच्चन जी के शब्दों में कहूं तो ............क्या भूलूँ क्या याद करूँ......... ???.................
अरे किसी को नहीं तो कम से कम अपने बच्चों को और खुद को ही खुश कर लूं......
फिर से उन क्षणों को जीने में अच्छा लगता है......
कितने ही लोग जो अब नहीं हैं फिर से आँखों के आगे जीवित हो उठ ते हैं
कितनी ही ऐसी स्मृतियाँ हैं जो किसी से नहीं बांटी हैं अभी तक....
ऐसे अनकहे पल दूसरो से बांटना सुखद है .................ऐसे पल जो मैं कभी भुलाना नहीं चाहती..... ....
sahi hai mammy..
ReplyDeletekoi padhe na padhe.. mein to janna aur padhna chahti hu ..aur, aur, aur...bahot sara..
itne achi likha rahte hai tumne ..ki agar feelings k saath padhne baitho.. jo chize aankh k saamne chalti hui malum padne lagti hai..
Next blog k intzaar me..
Betu
hmmmm...........
ReplyDeleteachchi baat hai...jaldi hi likhoongi
Yaadein aisee hoti hain ..Jinhe ham chah kar bhi bhool nahi sakte hain...Bahut hi acha likha hai aapne ...
ReplyDeleteBetu di k saath saath mai bhi aapke life k baare me jaanane ki bht ikchuk hun...aapke next blog ka intezaar rhega...
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