पता है ..................
काश ...............जिंदगी का सबसे बड़ा सच है ..
जो कभी पूरा नहीं होता ............हमेशा अधूरा रहता है....
हम उम्र भर उस काश के लिए रोते हैं
जो कभी पूरा नहीं हो पाता ...........
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काश मन की जुबान है ..
काश मन की जुबान है ..
मन जिसे कुछ कहने का हक नहीं सिवा काश के .............
यह लफ्ज़ काश ...
कितना अकेला कितना तनहा ...
अपने अन्दर न जाने कितनी वीरानियाँ लिए हुए है......
हमेशा का ही प्यासा....
न जाने कितने दिलों की चाहतें.....
कितनी जिंदगियों की रंगीनियाँ कितने हसीं लबों की मुस्कुराहटें
अपने अन्दर समेटे हुए है.......
जिसके बाद शायद कोई ................
और कुछ सोचने समझने की ताक़त खो बैठे या..
ज़िन्दगी ही हार बैठे...
पर इस काश की भूख कभी ख़तम नहीं होती.................
this blog reminds me of william wordsworth's poem "The road not taken.."
ReplyDeleteShayad meri jindagi me bhi ye "kaash" pura hojaye
aamiiiiinn
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