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Friday, August 27, 2010

कुछ लम्हे

कुछ बातों को ....
बीते हुए लम्हों के हवाले कर देना चाहिए..................
.जो पल मिल   रहा है उसे तो जी लें....
.ज़िन्दगी का हिसाब किताब कितना रखें??.................
लम्हों का बही खाता   सही सलामत रहे ...
यही काफी है................
एक और उदासी भरा दिन बीत गया.....
कभी कभी बड़ा बोझिल सा समय बीत ता है......
हर बार इसी उम्मीद में सुबह उठती  हूँ शायद आज कुछ नया हो....... 
जीवन में बहुत कुछ पाया 
और जितना कुछ पाया..............
शायद इतनी ही मैंने उम्मीद भी की  थी..........
पर अब लगता  है बहुत अंतर्मुखी होना भी ठीक नहीं,,,,,,,,,,,,,,,,
लगता है न जाने कब से होंठो को सिये बैठी हूँ,,,,,,,,,,,,,
,और कमबख्त ज़िन्दगी है के मुंह  चिढाती है...
उसे तरस नहीं आता मुझ पर.....................

1 comment:

  1. sach kaha hai ..zindagi zindadili ka hai naam , murda dil kya khak jiya karte hain !!

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