मुस्कुरा लेती हूँ ..और क्या चाहिए ..है न ..
न दे सकूँ किसी को मुस्कराहटों की सौगात ......
तो कम से कम किसी की आंखें तो नम न करूँ ..
बस इसी कोशिश ने हर बार रुलाया है मुझे ...
बस ऐसे ही जो दिमाग में आता है ...
लिख देती हूँ ..कुछ शब्द होते हैं ..
जो महसूस किया ..वो लिखा ..
जो जिया ..वो लिखा ..
जो पाया ..वो लिखा ..
जो भोगा ..वो लिखा ..
बस वही नहीं लिखा ..
जो दिल ने चाहा .....................
bahut khoob ....na likh kar bhe kitna kuchh likh daala ..yahi to likhne wale ki jadugari
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