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Monday, August 16, 2010

बहुत दिन हो गए


 बहुत दिन हो गए ..............
बहुत दिन हो गए नहीं पूछा किसी ने ...............कैसे हो तुम लोग?? ...क्या हो रहा है इस वक़्त ?? क्या कर रहे हो तुम लोग??....बहुत  दिन हो गए.....हर शाम फ़ोन के  बजते ही  एक आवाज सुनाई देना जो अंतर्मन तक छू जाती थी ....भूल गए मम्मी पापा को? ........
बस तुम्हारी आवाज सुन ने का मन हो रहा था इसी लिए फ़ोन कर लिया....
अब महसूस होता है क्यों नहीं हर रोज बात कर लेती थी उनसे...क्या जाता था..पर यही है न जब वक़्त निकल जाता है तब अफ़सोस रह जाता है ...........कोई भी परेशानी हो या कोई सलाह लेनी हो तो सिर्फ मम्मी याद आती थीं.. (थी क्या ..अभी भी याद आती हैं..)ऐसा लगता है जैसे हर सवाल का जवाब था उनके पास.......
खाना पकाने से लेकर अचार बनाने तक सिलाई करने से लेकर कोई दर्द बुखार होने तक सबके लिए उनसे पूछती रहती थी मैं ............कई बार तो कडाही चूल्हे पर चढ़ा कर मसाले के  बारे में पूछा है मैंने.... ............पेड़ में आम आये हैं इस बार इतने .........और मम्मी नहीं हैं कि  उनसे पूछ कर अचार बनाऊ ..अच्छा लगता है जब बच्चे कहते हैं के मैं नानी कि तरह अचार बनाने लगी हूँ या आम का मीठा  अचार (जो मम्मी बहोत अच्छा बनाती  थीं) बना लेती  हूँ  ...............बहुत कुछ था ऐसा  जो पूछना चाहती थी उनसे और नहीं पूछ पाई बाकी ही रह गया पूछना.....कितना कुछ था जो सिर्फ उनको ही आता था....
कितनी भी परेशानी में रहे हो हम लोग........मम्मी की  बातो से कितनी तसल्ली मिलती थी.......कितना मानती थीं वो हम सभी को खास तौर पर पर मेरी बेटी को ........

मुझे याद है  मम्मी को कितना शौक़ था कि मुझे हर चीज आना चाहिए चाहे डांस हो या गाना चित्रकला  हो या क्राफ्ट एसा कोई विषय नहीं होना चाहिए जो मुझे न आता  हो....बेहद शौक़ था उनको...आज जब अपनी बेटी को मैं ये सब सिखाना चाहती हूँ..तब लगता है कि मम्मी को तो कुछ भी सीखने का मौका नहीं मिला था...परउनको शौक़ था...और उन्होंने मुझे सब सीखने का अवसर दिया  ...........किसी के   आने पर बेहद उत्साह के   साथ मेरी  बनाई  हुई पेंटिंग्स और क्राफ्ट का सामान दिखाना याद आता है .......कोई भी अच्छा व्यंजन  बनाने  के  बाद  सिर्फ मेरे प्लेट  में सजा कर  रख  देने से सभी को ये बताना के वो मेरा बनाया हुआ है.....और तारीफ के  पुल बाँध देना ..ये सब छोटी छोटी बातें याद आती हैं...............आज जब मम्मी नहीं हैं तो ये बातें कितनी बड़ी लग रही हैं......






13 comments:

  1. bahot sundar mammy..
    bahot acha..bahot hi acha..
    mammy aur likho.. plzz..
    mujhe aur padhna hai..

    Betu.

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  2. thanks beta.....ab tumhara likha bhi padhne ka mun hai na.....

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  3. बहुत अच्छा लिखा है आपने... मन के विचारों को शब्दों मे सुन्दर ढंग से ढाला है आपने. अपने ब्लोग को नीचे दिये लिन्क पर जा कर रजिस्ट्र करें ताकि आप अन्य लोगों तक अपना ब्लोग पहुंचा सकें.

    http://www.chitthajagat.in

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  4. are mohindar ji abhi itna kahan likh pati hoon...thoda aur manjj jane dijiye.....hehehhe

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  5. बहुत अच्छा लिखा है आपने... padh kar maa yaad aa gae
    sp tiwari

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  6. its really vry heart touchng..... mai to kabhi mausi ji se mil nai paayi.... but is blog me aapne jis tarah se Ma-Beti k rishte ko darshaya hai.... its wonderful

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  7. hmmm......thanks....mummy bhi bahut milna chahti thin tum logo se.....

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  8. सब मां एक जैसी ही होती हैं।

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  9. मां तो बस मां ही होती है, ममता और त्याग की देवी...बहुत बढ़िया...

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  10. soni.reporter@gmail.comSeptember 16, 2011 at 12:48 PM

    मां के बारे में बहुत अच्छा लिखा आपने....

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  11. Very touching... Bahut hi khoobsurat lafjo me ma ka ehsaas bayan kiya hai...superb

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  12. Very touching... Bahut hi khoobsurat lafjo me ma ka ehsaas bayan kiya hai...superb

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