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Thursday, August 19, 2021

यूंही एक ख्याल 😔😔

मुझे गिफ्ट देना पसन्द है, और पाना भी.... पर ये बहुत रेयरली होता है....मुझे ज्यादातर गिफ्ट्स मेरी बिटिया ने दिए हैं...(और काफी कुछ पतिदेव ने भी) गिफ्ट्स से मेरा मतलब यहां ऐसी चीजों से जो सिर्फ मेरे लिए हों....जिनके कवर, रैपर सिर्फ मैं खोल कर देखूँ.. और खुश हो जाऊँ.... चादरें, कैसरोल, टी सेट, और बर्तनों को मैं गिफ्ट नहीं मानती😏😏😏😏ये सब तो शादी में दी जाने वाली चीजें हैं..... 
मैं पहले अक्सर बुक्स बहुत गिफ्ट करती थी...बच्चों को उनकी रुचि की किताबें भी....... .पापा जी की एक बात मन में बैठी हुई थी कि पुस्तकों से बढ़कर कोई गिफ्ट नहीं..... फिर यही बात दिखी कि जिसे गिफ्ट दिया उसने उसी कीमत का कुछ फिजूल ऊलजलूल सा भेज दिया कि चलो हिसाब बराबर...... और किताब पढी भी  या नहीं पता नही....पूछने पर ये पता चला अरे यार टाइम ही नहीं मिल पाया.... ताज्जुब है कि दो - तीन सालों में भी टाइम नहीं मिल पाया??? हद्द है... ये कई बार महसूस किया....तब से मन हट गया। अब सिर्फ चुनिंदा लोगो को ही गिफ्ट भेजती हूँ वो भी उनसे पूछ कर कि बता दो क्या चाहिए??? ऐसा न हो कि मैं इतने मन से कुछ भेजूँ और अगले को पसंद ही न आए....
वैसे ये चीजों का आदान प्रदान तो हमेशा ही होता रहता है...पर मौके पर दिया गया गिफ्ट ही गिफ्ट लगता है..... 

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