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Sunday, October 11, 2020

सच

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ये तो सच है,
अतीत कभी
वापस  नहीं आता।
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लेकिन स्मृतियाँ जरूर बार बार
लौट लौट कर आती हैं।
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घर वही रहता है,
किन्तु हमारे भीतर भी...
एक पुराना घर हमेशा रहता है...
जो अचानक ही कभी कभी
सामने आ खड़ा होता है......
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मम्मी पापा के जीवित रहते
हम जितने भरे पूरे, निर्द्वंद और निश्चिंत रहते हैं....
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वो निश्चिंतता... वो नींद
फिर जीवन भर कभी नहीं आती ...

चाहे हम कितने ही अमीर क्यों ना हो जाएंँ......
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अमीरी से निश्चिंतता और नींद नहीं खरीदी जा सकती.....
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हमेशा सोचती  हूँ....
कि मम्मी पापा का हाथ शायद नहीं छूटना चाहिए था......
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वे हमेशा हमारे आगे आगे चलते रहते
और हम उनके थोड़ा पीछे पीछे
उनका हाथ थामे चलते रहते.....
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कभी भी दुनिया की
बेतहाशा भीड़ भरे मेले में..
असहाय,
असमर्थ और अकेले छूट जाने
जैसा महसूस नहीं होता........
..
इतनी निश्चिंतता का मूल्य
माता- पिता के नहीं रहने पर ही समझ में आता है......
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