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Sunday, August 16, 2020

हम्मममम

परिवार का छोटा होना... और छोटे परिवार के सभी सदस्यों का इधर-उधर होना.... नए समय का अभिशाप है..... जिनके बिना दिन के कुछ पल बिताने भी मुश्किल होते थे... अब महीनों बीत जाते हैं.... उनकी शक्ल भी  देखे..... सबकी व्यस्तता देखते हुए कोई प्रतिक्रिया भी नहीं  की जा सकती...... त्योहारों पर भी  मिलना नहीं  हो पाता..... त्योहार  पर्व मनाने की जगह बस खानापूर्ति करके बस निभा लिए जाते हैं...... खास तौर पर किसी त्योहार के लिए कुछ करना मेरे लिए तो सिर्फ रोज के लंच डिनर में थोड़ा बहुत फेर बदल कर लेना..... एक दो व्यंजन और बना लेना तक ही सीमित  रह गया है😏😏 ना ज्यादा कुछ बनाने की इच्छा होती है... न खाने की.... खुद भी और आने जाने वाले ज्यादातर लोग... किसी को चीनी से परहेज है तो किसी को मसाले से..... कोई नमक कम खाता है तो कोई तला भुना नहीं  खाता...... अब ऐसे में कोई क्या बनाये  और क्या खिलाये!!!!!!! कोई रंग नहीं  खेलता (मैं खुद भी नहीं) क्योंकि रंगों से एलर्जी है..... तो किसी  को पटाखों की आवाज़ से हार्ट अटैक का डर है...... अब तो बस टीवी पर ही सब त्योहार देखो😊😊😊😊 तरह तरह के रंगबिरंगे फैशनेबल कपड़ों की बहार देखो..... और दिन भर फूड फूड और फॉक्स लाइफ चैनल लगा कर स्वादिष्ट और अजीब अजीब से दिखने वाले व्यंजनों का आनंद लो...... 😊😊😊😊😊😊

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