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Monday, December 14, 2020

नवंबर 2017

इधर कुछ दिनों पहले मुंबई अपने भतीजे की शादी में जाना हुआ.... मेरे फेसबुक स्टेटस पर Manmohan Saral दादा का मैसेज पढ़ कर अतीव प्रसन्नता हुई 😊😊ये अहसास ही नहीं था कि अचानक उनसे मिलने का अवसर मिल जायेगा.....दादा ने पूरा विस्तृत एड्रेस मुझे वाट्सैप पर भेज दिया था.... और हमारी प्रतीक्षा भी कर रहे थे 😊😊😊😊एक रोमांच सा था कि जिस लेखक को बचपन से पढती आ रही हूं, वो हमारे सामने बैठे हैं.... एक बड़ी विभूति से मिलने के अवसर कभी कभी ही आते हैं.... कुछ देर के लिए ही जाने का प्रोग्राम होने के बाद भी हम बहुत देर तक वहां बैठे रहे.....
दादा सिर्फ श्रोता से बन कर बैठे रहे और हम दोनों वक्ता बने रहे😂😂😂 मंद मंद मुस्कुराते हुए सुनते रहे......बड़ी ही आत्मीयता से अपना पूरा घर.....अपनी पत्रिकाओं, पुस्तकों का संकलन दिखाया...... चारों तरफ से किताबों से घिरे रहना... ओह!!!!! मेज, कुर्सी डायनिंग टेबल,पलंग, रैक हर जगह किताबें ही किताबें.....
हमारे जाने के कुछ समय बाद तक उनकी कार्य सहायिका नहीं आई थी.... और हमारे लिए चाय नाश्ते की व्यवस्था नहीं हो पा रही थी इसके लिए उनकी व्यग्रता देख कर मैने स्वयं चाय बनाने की पेशकश की पर वे तैयार नहीं हुए..... कुछ देर बाद वो आई और हमने चाय नाश्ता ग्रहण किया....उस दरम्यान दादा का बार बार किचन में जाना और अपने हाथों से सारी व्यवस्था करना अंतर्मन को छू गया 😊😊😊😊पतिदेव ने ढेर सारी फोटोज लीं...
अभी कुछ समय पूर्व ही दादा की जीवन संगिनी नहीं रही हैं.... उनकी बातों में उनका अभाव बराबर महसूस हो रहा था ☹️☹️
इतना अच्छा समय बीता.... हम दोनों बिल्कुल गदगद होकर लौटे..... अपनी एक बहुत अच्छी पुस्तक उन्होंने मुझे भेंट की.....
फिर मिलने की उम्मीद के साथ हम दोनों वापस आए😊😊😊😊😊

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