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Wednesday, September 8, 2010

समय के साथ

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      टिक ........टिक …करते  हुए  लगातार  आगे  को  बढती  हुई  घडी  कि  सुई  सिर्फ  समय  नहीं  बताती ……..बल्कि  ये  सन्देश  भी  देती  है  कि  वक़्त  किसी   के   लिए  नहीं  ठहरता …. जो  समय  एक  बार  गुजर  जाता  है ..............वो  किसी  के  लिए  लौट  के  नहीं  आता ……........कुछ  लोग  तो  घडी   कि  सुईयों  के   सामान  ही  लगातार  आगे  बढ़ते  रहते  हैं …………   लेकिन   कुछ   ,लोग   ऐसे  … भी  होते  हैं 
           जिनके   हाथ   से   वक़्त    का    पल्लू   छूट   जाता  है …..
   एक   बार   वक़्त   का  पल्लू   छूटा   नहीं   कि  फिर   वे   पिछड़ते   ही  चले    जाते    हैं ……         इस   से   उनके  और    समय   के   बीच   का   फासला   इतना   अधिक  हो   जाता   है   कि  …………
      उन लोगों  के   लिए  दकियानूस  और  पिछड़ा  …….
आदि  शब्दों  का  इस्तेमाल  शुरू  हो  जाता  है …….
और    ऐसी     हालत    में   अन्दर   ही   अन्दर   कुढने   और   सबसे   चिढने   के   अलावा   उनके   पास    कोई   चारा   नहीं   बचता …..
और   फिर  एक  दिन   ऐसी   हालत   में   ऐसे   लोग   खुद  ही   मानने   को  मजबूर   हो   जाते    हैं  कि    वे   वास्तव   में  समय   से   पिछड़   चुके   हैं ………………
.                समय   के   साथ   चलना    जहाँ   वरदान   है   वहीँ   पिछड़ना  अभिशाप ……..
अक्सर   समय   के   साथ   चलने   को   आधुनिकता   से   जोड़   कर  देखा  जाता   है ….जो    कि    गलत    है …..

4 comments:

  1. Bilkul sahi baat likhi hai auntie jo samay ke sath nahi chalta , samay uska sath nahi deta...aajkal ki roz marra ki bhag daud me ab wo shanti sukoon talashne se bhi nahi milta hai...har koi ek mrig trishna me hai...bhag raha hai..lekin bhagna hi jindagi ki niyati bhi hai...jo nahi bhagta usko Jindagi bahut peeche chhod deti hai...

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  2. नहीं स्मिताजी,
    घड़ी की सुई टिक-टिक नहीं बल्कि क्विक - क्विक (quick-quick) करती है; यानि वह हमसे कहती है कि जल्दी करो- जल्दी करो।
    :)

    ॥दस्तक॥

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