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Thursday, September 20, 2012

शाम होने को है



शाम होने को है
लाल सूरज समंदर में खोने को है ,
 और

उसके परे  कुछ परिंदे 
कतारें बनाये 
उन्हीं जंगलों     को चले ,
जिनके पेड़ों की शाखों पे हैं घोंसले ,

ये परिंदे वहीँ ,
लौट कर जायेंगे , 
और 
सो जायेंगे ........


हम ही हैरान हैं ,.....

इन मकानों के जंगल में 
अपना  कहीं भी ,
ठिकाना  नहीं ,.......

शाम  होने को   है ,,,,,,,
हम कहाँ  जायेंगे  , ?????
 





हमारी   आज कल की मनः स्थिति को जाहिर करती एक नज्म .......
( तरकश  से )

2 comments:

  1. bahut khoob... kabhi parindo ko ghosla banate dekho... kuch ahsas hoga aur zawab bhi wahi miljayega.

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