शाम होने को है
लाल सूरज समंदर में खोने को है ,और
उसके परे कुछ परिंदे
कतारें बनाये
उन्हीं जंगलों को चले ,
जिनके पेड़ों की शाखों पे हैं घोंसले ,
ये परिंदे वहीँ ,
लौट कर जायेंगे ,
और
सो जायेंगे ........
हम ही हैरान हैं ,.....
इन मकानों के जंगल में
अपना कहीं भी ,
ठिकाना नहीं ,.......
शाम होने को है ,,,,,,,
हम कहाँ जायेंगे , ?????
हमारी आज कल की मनः स्थिति को जाहिर करती एक नज्म .......
( तरकश से )
bahut khoob... kabhi parindo ko ghosla banate dekho... kuch ahsas hoga aur zawab bhi wahi miljayega.
ReplyDeletethankssss rajiv da.....
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