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Monday, January 24, 2011

जाने अनजाने

जाने अनजाने


कभी कभी ऐसा महसूस होता है कि बहुत सी बातें हम अनजाने में ही कर जाते हैं जिनका कोई औचित्य नहीं होता पर  वो  हो  जाती  हैं..... जिनके लिए हम बाद में चाहे लाख अफ़सोस कर लें....पर कुछ नहीं मिलता सिवा दिली तकलीफ के ..और ऐसा मैंने कितनी ही बार महसूस किया है.....या यूं  कहूं दूसरों के  व्यवहार में झलक आये निष्ठुर पन को बहुत बुरी तरह भुगता है .......अपने  सीधेपन, बेवकूफी या भोलेपन जो भी कहूं सबकी साक्षी  मैं खुद रही हूँ..पता नहीं क्यों?? मैं किसी के भी बारे में जल्दी कुछ गलत निर्णय नहीं ले    पाती और अक्सर मेरे बारे में गलत सोच लिया जाता है.....शायद बहुत अंतर्मुखी होना भी ठीक नहीं है.......हमेशा आपको गलत समझा जाता है.......


अपनी  बहुत  प्रिय सहेली को खुद से विमुख होते हुए भी देखा है मैंने....और वो भी बिना किसी कारण के....सिर्फ किसी अन्य  के कान भरने और उल्टा सीधा सिखाने से ...... मैं अभी तक यह नहीं समझ पाई कि क्या वजह हो सकती है....कि उसने मेरे विषय में इतना अनर्गल सोच लिया  कम से कम एक बार मुझसे पूछा तो होता...पर वही मेरा अंतर्मुखी होना ही मेरी कमी बन गया.....न ही मैंने पूछा न ही उसने बताया.....वो जो दरार पड़ी वो आज तक नहीं भर पाई ऐसा  मुझे लगता है......खैर....


                 वक़्त का काम है गुजरना तो वह गुजरता चला जाता है.......तब्दीली दुनिया की  फितरत है इसीलिए सभी बदलते रहते हैं......अब मुझे इसका कोई गिला शिकवा नहीं.....

2 comments:

  1. mammy likha to bahot sundar aur sahi baat hai.. but kiske liye .. bahot dukhi - dukhi sa laga padh k..
    per tumhara nature jaisa hai, vo bahot jagah acha b hai.. u r best maa.. never b upset.. luv u..

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  2. hain kuchh log beta.....par ab itna samay beet jane k baad kisi ka naam lena thik nahi......jane do....ghaav ki papdi khurachne se khud ko hi dard hoga...........

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