इस तेज रफ़्तार वाले दौर में जहाँ पल भर में ही संसार भर कि दूरी नापी जा सकती है....मोबाइल और इंटरनेट सात समंदर पार से भी पल में नाता जोड़ सकते हैं....वहां लिखने का ..........कलम और कागज़ का सहारा लेना शायद बेवकूफी लग सकता है...पर मुझे लगता है कि बोल कर मन की पीड़ा या मन के भाव को हल्का करने की अपेक्षा लिख कर..शब्दों को कागज़ पर उतार कर ह्रदय का भार हल्का कर लेना कहीं ज्यादा सुकून दायक है......अब वो भावनाएं ही कहाँ रह गई.....??? ......
कुछ अनकहे पल ..कुछ अनकही बातें ......कुछ अनकहे दर्द कुछ अनकहे सुख ......बहुत कुछ ऐसा जो सिर्फ महसूस किया .....किसी से बांटा नहीं . ...बस इतना ही .......
लिखिए अपनी भाषा में
Thursday, October 21, 2010
लिखे गए शब्द.....
आज के समय में किसी से ये पूछना ...क्या हाल चाल है ?? और उस पर ये जवाब मिलना सब ठीक है यथावत है और पूर्ववत है......बड़ा अच्छा लगता है.....वैसे ये बड़ी आम बोलचाल वाली बात है कि किसी से मिलते ही सबसे पहले पूछा जाता है और भाई क्या हाल चाल है.? और इसका यही जबाब है सब ठीक है..बढ़िया है.....कुछ लोग जो जरा और साहित्यिक भाषा का प्रयोग करते हैं....उनका कहना होता है सब पूर्ववत है यथावत है...... वैसे भी आज की इस भागम भाग और व्यस्त ज़िन्दगी में सब कुछ पूर्ववत और यथावत बना रहे ये सोचना भी बड़ा सुकून देता है........ ..
इस तेज रफ़्तार वाले दौर में जहाँ पल भर में ही संसार भर कि दूरी नापी जा सकती है....मोबाइल और इंटरनेट सात समंदर पार से भी पल में नाता जोड़ सकते हैं....वहां लिखने का ..........कलम और कागज़ का सहारा लेना शायद बेवकूफी लग सकता है...पर मुझे लगता है कि बोल कर मन की पीड़ा या मन के भाव को हल्का करने की अपेक्षा लिख कर..शब्दों को कागज़ पर उतार कर ह्रदय का भार हल्का कर लेना कहीं ज्यादा सुकून दायक है......अब वो भावनाएं ही कहाँ रह गई.....??? ......
सारा अपना पन.... सारी संवेदनाएं.....सारा भाव ....अब हाय... बाय... टेक केयर......आय एम् ओके ...टेक इट टी इजी .....डोंट टेक टेंशन ....में सिमट कर रह गया है ...ये ऐसे बोले जाने वाले शब्द हैं....सारी भावो को खुद में ही समेट लेते हैं......और कितने ही प्रश्न अनुत्तरित ही रह जाते हैं.....लिखे हुए शब्द अनमोल हैं......बार बार पढ़े जा सकने वाले शब्द......एक थाती हैं एक धरोहर.....
इस तेज रफ़्तार वाले दौर में जहाँ पल भर में ही संसार भर कि दूरी नापी जा सकती है....मोबाइल और इंटरनेट सात समंदर पार से भी पल में नाता जोड़ सकते हैं....वहां लिखने का ..........कलम और कागज़ का सहारा लेना शायद बेवकूफी लग सकता है...पर मुझे लगता है कि बोल कर मन की पीड़ा या मन के भाव को हल्का करने की अपेक्षा लिख कर..शब्दों को कागज़ पर उतार कर ह्रदय का भार हल्का कर लेना कहीं ज्यादा सुकून दायक है......अब वो भावनाएं ही कहाँ रह गई.....??? ......
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waaahhh mammy... bahot deep feeling likhi hai..
ReplyDeletebahot acha observation hai mammy..
acha laga padh k.. log itna door tak nahi soch paate..
sundar..
Betu
Ekdum sach hai...Aaj ki Jindagi "Hi Bye" me hi tik kar rah gayee hai, ham hamari parampara ke un anmol ratno ko chhod aaye hain jinse hamari pehchan hai.Bahut hi acha lekh hai ...Bhale hi is aapadhapi bhari jindagi me ham bhagte rahein, lekin dil ko sukoon akele me bitaye hue kuchh palo me hi aata hai...bahut hi sundar lekh hai...
ReplyDeleteवैसे भी घर वाले घर पर... और दफ़तर वाले घर और दफ़तर के चक्कर ही खाते रह जाते हैं जिन्दगी भर..... फ़िर हाल चाल कहां से बदलेंगे.. खास कर चाल ;)
ReplyDeletethanks beta
ReplyDeletehmmmm......sahi hai bhaaiijaan
ReplyDeleteghar vale aur daftar vale dono sochne par majboor honge
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