जब आप किसी ऐसे इंसान को चोट पहुँचाते हैं
जिसका दिल सच्चा और साफ होता है,
तो उसका जवाब तुरंत या साफ़ तौर पर नहीं आता,
वो चिल्लाते नहीं, इल्ज़ाम नहीं लगाते, कोई हंगामा नहीं करते.....
ऐसा लगता है मानो कुछ हुआ ही नहीं..
लेकिन अंदर ही अंदर बहुत कुछ बदल जाता है,
बस एक चुप, धीरे-धीरे होने वाला एहसास कि
अब वो भरोसा पहले जैसा नहीं रहा......
क्योंकि जब एक सच्चे दिल वाले इंसान का भरोसा टूटता है,
तो वो लौटकर नहीं आता.....
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