लिखिए अपनी भाषा में

Friday, December 17, 2021

यूँ ही....

स्मृतियों में कोई जी नहीं सकता लेकिन स्मृतियों के बिना भी जीवन खाली ही होता है..! ! हालांकि मां थीं घरपर लेकिन  जब पापा जी के जाने के बाद बेहद सीरियस हो गई थीं...... मां वो मां नहीं रह गई थीं, बुझी बुझी सी, बेहद हताश कहीं अंदर तक..... और मैं  इन सबको सदा के लिए अपने पास,  सशरीर रख लेना चाहती थी। मैं कभी नहीं खोना चाहती थी अपने पैरेंट्स को... 
         पता नहीं कैसी मनःस्थिति हो गई है इन दिनों.... एक उदासीनता से घिर रही हूँ जैसे.... चाय पीते-पीते उकता कर छोड़ देती हूं। अपने पसंदीदा गाने सुनते हुए भी बीच मे खीझकर बन्द कर देती हूं.... भूल जाती हूँ कि किताब कहाँ तक पढ़ी थी और तो और बुकमार्क लगाने के बाद भी पिछला पढ़ा याद नहीं आता।  मतलब कुछ भी हो रहा है... । मूवी देखना शुरू करती हूं और खत्म नहीं करती..... बीच में ही छोड़ देती हूँ...
रह- रहकर एक काश आस पास फटकता रहता है,एक अधूरी कहानी जहन में घूमती रहती है। बहुत कुछ करने को पड़ा है ,सिलेबस खत्म करना है। किताब खत्म करनी है । ईजल पर लगी आधी अधूरी पेंटिंग्स पूरी करनी हैं.... कबसे एक ही नावेल के चार पन्ने हर रोज पढ़ कर पलट कर सो जाती हूँ।
वक्त गुजर गया है ,सबकुछ वैसा ही है जैसे होता आया है हमेशा। जिंदगी अपनी गति से आगे बढ़ रही है पर मैं जैसे किसी एक पल में रुक जा रही हूँ..ठहर जारही हूँ..
आगे बढ़ना जरूरी है और कोई विकल्प भी नहीं है पर जैसे मैं खुद को ही धकेल धकेल कर आगे बढ़ रही हूं....... पूरी उम्मीद है कि फिर वो दिन लौटेंगे , तब तक बस यही दुआ है.... सबकी जोड़ियां बनी रहें..... हर माँ का बच्चा महफ़ूज़ रहे हर बच्चे के सिर पर माँ बाप का साया रहे .....आमीन!!!!

No comments:

Post a Comment