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Sunday, February 7, 2021

07.02.2021 (मम्मी की याद में)

मन के एक उदास कोने में
कभी कभी
अतीत की ये बेचैनी
मुझे बहुत परेशान करती है....
दुनिया की सबसे बेशकीमती चीजों में से एक
वो माँ और  पिता जिनके बगैर हमारा सब कुछ अधूरा सा रहता है....
जो हमारी जिंदगी का
हमारी धड़कनों का
बेहद जरूरी हिस्सा होते हैं,
अचानक ही
समूचे परिदृश्य से गायब हो जाते हैं।
जिनके बिना
और जिनके निर्देशन के बिना एक कदम भी चलना मुश्किल लगता था.....
हम  परिस्थितियों से सामन्जस्य बैठाने की निरीह कोशिशों में जुट जाते हैं.....
भौचक्के, लुटे पिटे से खड़े रह जाते हैं
इस भरे पूरे संसार में......
किसको कहें अपने सुख दुख ,
कौन है जो हमें ठीक वैसा ही समझे
जैसा हम समझाना चाहते हैं...
.
कोई भी हमें वह सुकून नहीं दे सकता
जो आश्वस्ति से भरे
मां - पापा  के आलिंगन से मिलता था
और
ताज्जुब ये कि
उनके जाने के बाद भी
हमारी ज़िंदगी यूँ ही चलती रहती है.....
बहुत पछताती हूँ अब..
गृहस्थी में उलझी उनको फ़ोन नहीं कर पाती थी....
“बस काम में लग गयी थी.....
टाइम ही नहीं मिल पाता है.....
हफ्ते भर बाद फ़ोन पर भी इतना ही कह पाती थी.....
.
और अब तो समय ही समय है....
बस वो लोग नहीं हैं.....
जो सचमुच हमसे बात करना चाहते थे...
हमारे साथ समय बिताना चाहते थे... .
पर अब हाथ मलने से क्या फायदा??
.
याद करती हूँ वो ज़माना
जब सब कुछ ज़रूरी छोड़कर 
हम सब पास पास बैठ जाया करते थे.....
"अब फिर कब आना होगा??
इतना भागमभाग में आई हो कि जी भर के बात भी नहीं कर पाए.....
वो  कितनी उदासी से कह दिया करते थे....
.
अब कसकते हुए दिल
और रूंधे हुए मन के साथ
उस वक़्त को याद करती हूँ तो बहुत ग्लानि होती है....
खुद को बहुत छोटा पाती हूँ
बेटी के रूप में खुद को हारा हुआ पाती हूँ।
..............
(मम्मी को हमेशा के लिए छीन लेने वाला दिन..... 7 फरवरी 2010 😢😢😢😢)

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