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Tuesday, January 12, 2021

बाबू के दोस्त ऋषभ की पोस्ट मेरे लिए (2016)

Smita आंटी कल आपका भेज हुआ गाजर का हलवा खाने का मौका मिला...हमेशा याद रहने वाला लाजवाब स्वाद...साथ ही टिफिन को जिस तरह से ठूंस ठूंस कर भरा गया था...वो जता रहा था कि इस हलवे में केवल स्वाद नहीं प्यार और स्नेह की मिलावट भी की गयी है...बेगानी दिल्ली में माँ जैसा प्यार आपकी दुआ से मुझे और Chandra सीपी को नसीब हुआ... Purusharth तुम्हारा ऑफ गलत दिन पड़ा दोस्त..और गाजर का हलवा देखकर ऐसी शराफत की उम्मीद रखना भी गलत है कि कुछ बचाया जा सकता है... आंटी Chitrarth आलस में आपके जाने के दो दिन बाद हलवा लाया...लेकिन उसके स्वाद में कोई अंतर नहीं था...घर वाला स्वाद..घर वाला प्यार... फेसबुक के जरिये जबसे आपको जाना है...आपके प्रति श्रद्धा और प्यार दोनों बढ़ते जा रहे हैं...ऐसी आत्मीयता और ऐसी ज़िन्दादिली बहुत कम लोगों में देखने को मिक्ति है...आपकी ज़िन्दादिली उस वक़्त भी दिखाई देती है जब ट्रेन छूटने के बाद सर्दियों में बस के मुश्किल सफ़र में आधी रात के बाद कॉफ़ी एन्जॉय करती हैं और हमें भी गुनगुनी सर्दी के डरावने सफ़र को खूबसूरत सफ़र में बदलने का तरीका बताती हैं... ज़िन्दादिली की दूसरी मिसाल जो मैं देने जा रहा हूँ दरअसल वो मिसाल नहीं वो वजह है आपकी ज़िन्दादिली की...एक कलाकार हमेशा ही ज़िंदादिल होता है...और आपकी बनायी हर तस्वीर इस ज़िन्दादिली का सबूत देते हैं... फिर चाहे शांति का सन्देश देते बुद्धा हों...या फिर प्रकृति का मानवीयकरण करता वृक्ष...एक से एक लाजवाब पेंटिंग्स...बिल्कुल आपकी तरह...आप मेरे लिए उन चुनिंदा लोगों में से एक हैं जिनके व्यक्तित्व ने बहुत जल्दी आकर्षित किया...और प्यार की मिठास से भरे गाजर के हलवे के लिए शुक्रिया आंटी...

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