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Sunday, April 24, 2022

बच्चों को मालूम नहीं.... कि उनका जीवन बनाते बनाते हमने हमारी कितनी इच्छाएं तिरोहित कीं उन पर..... उस समय कमाई कम और खर्च  अनगिनत... मन को कितनी ही  बार मार कर बच्चों को इस मुकाम तक पहुंचाया। उनकी हजारों तरह की ख्वाहिशों के बाद भी..... सिर्फ उनकी जरूरतें ही पूरी कर पाए.... अब उनके  सामने अपनी किस अधूरी इच्छा की फेरहिस्त थमाएं.... बस मन यही चाहता है कि वो खुश रहें..... हर वो चीज उन्हें मिले..... जिसके लिए उनका मन जरा भी तरसा है..... 

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