आप सबको बताते हुए अच्छा लग रहा है की ...कल मेरे जन्मदिन की पूर्व संध्या पर मुझे मेरे पतिदेव द्वारा एक कवि गोष्ठी का उपहार और करीब १५०० /_ की बहुत अच्छी साहित्यिक पुस्तकें ....मिली ......कुल १५ कवियों के सानिध्य में बैठ कर लगभग ४ घंटे कैसे बीत गए पता ही नहीं चला .....अवनींद्र विनोद ....सतीश आर्य ... इशरत जहाँ ....खालिद भाई ....आदि बहुत बेहतरीन लिखने वाले शायरों और कवियों की रचनाओं का रसास्वादन किया गया .....और उनके सम्मुख ही मेरा जन्मदिन भी सेलिब्रेट किया गया ......अंत में डिनर के साथ गोष्ठी समाप्त हुई ......मैं बहुत खुश हूँ .......आशा ही नहीं पूरी उम्मीद है की आप सभी को भी ये जान कर अच्छा लगा होगा .......(25.9.11)
आशीर्वाद के साथ क्षमा
ReplyDeleteआपको शुभ कामनाएँ नहीं दी मेरी ही गलती
नहीं गलती नहीं दादी .....बहुत छोटी सी भूल.....आप सिर्फ भूल गई थीं......मुझे मालूम है......आपकी शुभ कामनाएं तो हमेशा मेरे साथ हैं .... है न ???
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