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Tuesday, December 31, 2024

पुरानी यादें

जीवन में हम आगे बढ़ते जाते हैं और साथ-साथ कबाड़ भी बढ़ता चला जाता है. इसी  कबाड़ में कभी कुछ ऐसा निकल आता है, कुछ ऐसा मिल जाता है जो हमारी सोई हुई स्मृतियों को जगा देता है......अभी बरसों बाद घर शिफ्ट कर रहे थे तो कबाड़ में न जाने क्या-क्या मिल गया, जाने क्या-क्या याद आता गया


बीता हुआ ज़माना देर तक आँखों के सामने घूमता रहा जब विदेशी सामानों के लिए हमारा एक ही ठिकाना बढनी (नेपाल बॉर्डर) जाना होता था. तब देश विदेशी सामानों का इतना खुला बाजार नहीं बना था. हम जूते से लेकर टूथब्रश और डिजिटल घड़ी वाला पेन तक वहीं जाकर खरीदते थे. तब नेपाल जाने का एक और आकर्षण होता था फैंसी इलेक्ट्रॉनिक सामान, कॉस्मेटिक्स, जैकेट्स और कंबल इत्यादि लेना....... अपने मनकापुर से कार या स्कूटर में बैठकर हम दो घंटे में बढनी पहुँच जाते थे और दिन भर के लिए ‘ग्लोबल’ बन जाते थे, दिन भर घूम घाम कर पिकनिक मना कर शाम को वापस हो लेते थे.

एक दशक तक उन सामानों ने  हमारा बखूबी साथ दिया. खराब तो वे तब भी नहीं हुए थे... जब तक नए नए सामानो ने घर में जगह नही बना लमें.. 

बाद में वे सब बड़े शौक से खरीदे हुए   सामान घर के सामानों में कहीं दब गए.... टांड पर और दीवान में पैक करके धर दिए गए.... . बाद में उसकी जरुरत भी समाप्त हो गई..... बच्चों के लिए वो सब ओल्ड फैशन और आउट आफ डेट हो गए.... 

उन्हें देखती रही और यही सोचती रही कि नई नई तकनीकी उपलब्धियां भी किस तरह एक जमाने में मॉडर्न और बेहद जरूरी समझे जाने वाले उपकरणों को कबाड़ बना देती है.

आज तो फोन तक में आराम से रिकॉर्डिंग की सुविधा है. लेकिन जीवन से जो रोमांच ख़त्म हो गया था  उसकी याद कबाड़ में मिले टेप रिकॉर्डर से हो आई... बच्चों के खिलौने , सुंदर कपड़े ..... डिजाइनर स्टेशनरी... कितनी चीजें... जिनकी अब हमारे जीवन में कोई जगह नही..... सब बांट दिया मैने... 


कई बार लगता है कबाड़ हमारे मर्म को छूने वाली चीजें हैं- सोई हुई स्मृतियों को  जगा देने वाली! न जाने कब का बखिया कब उधड़ने लगता है!

Friday, December 6, 2024

😢😢😢

आज अमित आनंद पांडेय का जन्म दिन है। 
हर वर्ष आज के दिन सुबह सुबह फोन आ जाता।
"दिदिया आज आपके नालायक भाई का जन्मदिन है। आपको तो याद होगा नहीं आशीर्वाद दीजिए"
आज सब कुछ वैसा ही है मुझे जन्मदिन याद भी है। बदला सिर्फ इतना है कि अब तक फोन नहीं आया।
मैं तुम्हारे फोन की प्रतीक्षा में हूं भाई।
(२७-११-२४)

,😢

कुछ  सालो  बाद  
यह  पल  याद  आयेंगे 
जब तुम्हारे आस पास हम न होंगे......
अकेले  जब  भी  होंगे तुम 
हमारे साथ  साथ  गुजारे   हुए  लम्हे  याद  आयेंगे ,
पैसे  तो  बहुत  होंगे  शायद,  
पर  खर्च  करने  के  लिए
 न इच्छा होगी 
न समय
 न ही कोई जरूरत....   
सिर्फ यह अफ़सोस रह जायेगा....
कि काश उन पैसों से ,
तुम फिर वो लम्हे, वो पल  
खरीद सको 
जो  तुमने हमारे बिना गँवा दिए ......
सब कुछ रहेगा पास ...
तुम्हारे ....
सिर्फ    
हम   न होंगे......--------------------------------