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Sunday, August 11, 2024

हद्द है

कांग्रेस की दी हुई पेंशन खाकर - खाकर भरे पेट अघाए हुए ये सारे निखट्टू पूरे दिन गांधी, नेहरू को कोसते हैं..... सुबह-सुबह व्हाट्सग्रुपों में 
हिंदूबाजी वाले फ़ॉवर्ड मचाने वाले अंकिल जी...... रेलवे और एअरलाइन्स, आपको सीनियर सिटिजन वाली छूट अब नहीं देंगी..... 😀
          सबसे ज्यादा तो ये बुड्ढों  पर चढ़ा है  हिन्दू होने का ढोंग...... . और ये सठियाए बुढ़ऊ लोग परम् भक्त हैं..... अंकल लोगों की तो उम्र बीत बिता गई लेकिन अभी भी वो स्थिति की गंभीरता को समझने की बजाय ही ही फी फी में मस्त  रहते हैं..... रहना भी चाहिए, आगे जाकर धर्म के नाम पर बने देशों सरीखा हाल होना ही है.. तब बर्बादी से पहले वाला एन्जॉयमेंट लेने में क्या हर्ज है..... पेंशन भी बन्द कर देते तो ये हिंदूबाजी वाले मेसेज भी बन्द हो जाते.... इन्हे जेल में भी बंद कर दें तो भी ये हिन्दू - मुस्लिम वाले मैसेज बंद नहीं होगें।😀

हम

जीवन में हमारे एक समय ऐसा भी आता है. जब हमें तय करना होता है कि पन्ना पलटना है या किताब बंद करनी है...
मुस्कुरा रहें है..... क्यों कि हम फिर से लखनऊ में हैं 
सब  से मिलने के बाद 
सोचा है कि 
कुछ समय निकाल लिया करें
सिर्फ तुम लोगों के लिए 
दूर जरूर हैं लेकिन 
हर समय पास होने का अहसास 
बना रहेगा.... 
सोचती हूँ कि अब से, बल्कि आज ही से 
थोडा थोड़ा वक़्त गुल्लक में 
डाला करूँगी
जो सिर्फ तुम्हारा मेरा होगा... 

😔

 मैं तो शायद ही कभी पहनती होऊं.... पर कलेक्शन का भयंकर शौक है..... मम्मी जब तक रहीं उन्होंने कभी पहनने नहीं दिया आर्टिफिशल......और आलसी नं वन होने से रोज बदल बदल के स्कूल जाना बूते से बाहर रहा...बिटिया के लिए खरीदा... उसे बहुत शौक है... तरह तरह की इयरिंग्स का और अब आनलाइन देख देख कर खरीदते जाने का चस्का लग गया है.... ढेरो इकट्ठा हो गई हैं.... बहू भी शौकीन है तो मैं भी हिम्मत कर ले रही हूँ शौक पूरा करने का.....पतिदेव का तो यही कहना है "बूढ़ी घोड़ी लाल लगाम" 😣😣😏😏

हम्म्म

इंसान हालातों के चलते एक दिन समझदार हो ही जाता है......................
और इतना समझदार हो जाता है कि वहाँ अपनापन ही ख़त्म हो जाता है...
अतः न इंसान कोई शिकायत करता है, न किसी चीज के लिए कोई नाराज़गी, न पहले की तरह अपनेपन की हक़ से कोई ज़िद्द करना, न पहले की तरह अपनेपन से अपना कोई हक़ जताना और न ही कोई सवाल-जवाब... रिश्ते में आई दूरी के सन्नाटे को हमेशा इंसान समझदार हो जाना समझते है...
तुम कैसे हो..................?????
ठीक हो?" पूछने पर जवाब में "मैं ठीक हूँ"  कहने का अर्थ हमेशा वह इंसान ठीक ही है ऐसा नहीं... यह नज़दीक के रिश्ते में आयी एक त्रासदी ही है कि सामनेवाले को झूठ समझ न आया क्यूंकि महसूस करने कि क्षमता खत्म सी  हो चुकी होती है। और दूसरे से अब सच बोला नहीं जाता क्यूंकि बिन एहसासों के चीज़ो को क्या महसूस करवाना... 
रिश्ते, जीवन, मनुष्यता रेंग रही होती है लेकिन जब कोई पूछता है कि सब कैसे चल रहा है तो हम ठीक है कहकर आगे बढ़ जाते हैं..............

Saturday, August 10, 2024

बस्ससस

अभाव जीवन में बड़ी ख़ुशी देते हैं, 
क्योंकि तब हमारी ख़ुशियाँ बहुत छोटी होती हैं, बचपन में 5/- किराए पे लाये video cassette पे देखी हर फ़िल्म masterpiece लगती थी, 

contribution करके दोस्तों के साथ नाथु स्वीट्स का 8/- का डोसा कितना स्वादिष्ट लगता था, 
लक्स साबुन की बट्टी से नहाना अपने आप में status symbol होता था, 

दिवाली पर मिले एक जोड़ी नये कपड़े दुनिया की नियामत लगते थे, 
सड़क किनारे झुलसती गर्मी में पानी की मशीन वाला जो 50 पैसे में नीबूँ पानी पिलाता था उसका स्वाद फिर कभी नहीं मिला, 

2/- के महँगे टिकट वाली dtc special बस में सफ़र करना Mercedes से कम नहीं था, 
मरा पड़ा सा कूलर जिस पर खस की टाट लगा देते थे ऐसी हवा देता था मानो स्विटज़रलैंड कि वादियों में घूम रहे हों, 

१/- के 6 गोलगप्पे खाना अपने आप में luxury था, 
फिर एक दिन अचानक हम बड़े हो गये और छोटी छोटी ख़ुशियाँ हमारे लिये गौण हो गयीं , अब सपने , अहंकार, महत्वाकांक्षाएँ इतनी बड़ी हो गयीं की , जीवन की असल ख़ुशी कहीं दूर निराश हो कर चली गई …., अब सब है पर असल में कोई ख़ुशी नहीं !

कभी कभी मिलती है मुझे, दूर मुस्कुराती हुई और मैं फिर उसकी ओर सबकुछ भूल कर लौट जाती हूँ ताकि सनद बनी रहे

हम्म्म

बस इतनी सी प्रार्थना है तुमसे महादेव , कि जब भी जीवन में तुमसे बात करने आऊँ तो मेरी बात सुन लेना, मुस्कुरा देना और आंखों ही आंखों में कह देना कि, "जा मैं हूँ तेरे साथ" ..... 
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मैं नादान . . .
सब कुछ हार कर भी आसमान की ओर देखती हूँ,,
इस उम्मीद में ____ कि वहाँ कोई है,,
जो इक रोज  . . .
सब  कुछ  ठीक  कर  देगा....... 

वक्त  लगता है . . .
जीवन में कुछ करने के लिए,,
और जो वक्त से पहले करता है न,
वो कुछ वक्त के लिए  रह जाता है..... समय भाग रहा है . . .
और  साथ  साथ  हम  भी  भाग  रहे  हैं...... 

कभी कभी . . .
बारिश अकेले नहीं आती,,
वो अपने साथ ले लाती है . . .ढेर सारी यादें, आंसू ,
और अकेलापन 💔"
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 महादेव ये जिंदगी आपने दी है,,संभालोगे भी आप"
"आशा नहीं,,विश्वास है "हर मुश्किल से निकालोगे भी आप"।
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वो मेरी हर अनकही बातों को भी 
बड़े ध्यान से  . . .
'सुनता है............. 
___________________
ओह ____
करीब पंद्रह वर्ष तो बीत चुके होंगे न इस तस्वीर को।
तस्वीर लेना भी जरूरी है . . .
क्योंकि कभी कभी बेवजह मुस्कुराने की वजह 
जो मिल जाती है ❤️
   💔

कभी कभी हमारे मन में क्या चल रहा होता है 
ये ठीक से हमें भी नहीं पता होता, 
बस कोई चाहिए . . .
जिसे बेझिझक सब बता सकें,,अच्छा या बुरा जो भी है . . .  पर नहीं है कोई जो समझ सके, और हमें सुनें
और सुनता जाए 💔
___----------
कितने साल पर साल बीत जाते हैं न . . .
यह सोचते हुए कि बस कुछ वक़्त बाद सब सही होगा,        
पर असल में . . .
सब सही फिर कभी नहीं होता........... 
   💔 _________ 💔
ओह . . ये कैसे दिन है . . ये कैसी जिंदगी है,,
जो बस एक जैसी गुज़र रही है हर रोज़....... 
सब कुछ इतना ठहर सा क्यूँ गया है...... 
मैं इतना रुक सी क्यूँ गई हूँ........
न आगे ही बढ़ रही हूँ और न ही कुछ जी पा रही हूँ 
___________________________
बस तारीखें बदलने के अलावा . .
कुछ क्यूं नहीं बदल रहा है जीवन में।💔
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मैं ही क्यों सोचती रहती हूँ कि कहीं किसी को 
बुरा न लग जाए, 
और किसी को यह ख्याल . . .क्यों नहीं आता 
कि मुझे भी बुरा लग सकता है...........