बेस्ट सेलर के चक्कर में पिछले साल पांच छः किताबें ऐसी खरीद ली थीं जिन्हें चार पांच पृष्ठ से ज्यादा पढ़ने के लिए हिम्मत जुटानी पड़ती...... और साल भर बीत गया आज तक फिर से उन्हें पलट के देखना भी नहीं चाहती...... मैं मानती हूं कि उन्हें भी बड़ी मेहनत(!) से लिखा गया होगा 😕पर.......... मुझे बिल्कुल भी पसंद नहीं आई.........अभी भी समझ में नहीं आ रहा कि बेस्ट सेलर मतलब क्या?? जो अभी तक प्रकाशित हो रही हैं हर बार नये कलेवर और नये कवर डिजाइन के साथ...... या झोंक के झोंक नये लेखकों की किताबें जो कभी कभी इतनी बिंदास, बेपरवाह और बोल्ड लिखने के चक्कर में अश्लीलता की सीमा पार कर जाती हैं.......गाली गलौज से भरे संवाद..... हद्द है........ उन्हें लाइब्रेरी में भी सबसे कोने की पिछली पंक्ति में छुपा कर रखना पड़ता है........ अभी दो साल पहले बडी़ चर्चित और बेस्ट सेलर सुन कर एक पुस्तक मंगाई थी......ताज्जुब है... अश्लील चित्रों से भरी...... (नाम नहीं लिखना चाहती, शायद उससे उनके पाठकों मे कोई कमी आये) पर सिर्फ एक बार पलट कर देखा गया और तुरंत लौटती डाक से वापस कर दिया बिना पढ़े......उसका पैसा भी बर्बाद ही गया........अब तो बेस्ट सेलर खरीदते समय ध्यान रखना पड़ेगा......... शायद बदलते हुए वक्त के हिसाब से हम थोड़ा देहाती और गंवार हैं 😞😞😞😞😒
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