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Sunday, May 1, 2022

बस्सससस

इतने दिनों से यहां रहने के बावजूद यही लगता है कि आज कल मैं जहाँ हूँ वो एक छोटा सा शहर  है , थोडे से लोग हैं  कुछ पहचाने से.. कुछ अनजाने से..... एक रास्ता है... जो घर से स्कूल और स्कूल से घर को जाता है.... थोड़ी सी नींद है और ढेर सारी उनींदी  रातें हैं।

मुझे लगता है  जैसे मैं सफर में हूँ और सफर करते करते थक गई हूँ।  हर दिन इस  दर्द को सुन सुन कर और महसूस करते करते थक गई हूँ। क्या कोई मुझे बता सकता है....हम कहां से चले थे??? हम  कहाँ जा रहे है? और कहाँ से आ रहे हैं? 

मेरे  सिरहाने  कुछ सफ़ेद पन्ने और कैनवास रखे हैं, जिनपर क्या लिखूं, क्या रचूं... कुछ समझ ही नहीं आता। मैं मन में कल्पना की उंगलियों से  हवाओं में चेहरे बनाती हूँ.... बिगाड़ती हूँ, सफेद कागज पर सिर्फ हाथ फेरती हूँ। 

 एक वक्त था जब जी में आता मैं आंखे बंद करते ही नींद को बुला लेती थी।  चांद, तारे सब मेरे मित्र थे जैसे.... पर अब सब तारे मेरी तरह बूढ़े हो चले  हैं.... और चांद ने मुझसे दोस्ती छोड़ दी है।

  जिंदगी के हिस्से में आज  एक और दिन आया है! नहीं  , यह कहना ठीक नही है, दरअसल मेरे  हिस्से में एक सुबह, एक दोपहर, एक शाम और एक  रात आई है। 

मुझे लगता है जब आप किसी से मिलते है तो  थोड़ी सी खुशी,थोड़ी सी हंसी... थोड़ा सा प्यार ,थोड़ा सा विश्वास भी होना चाहिए साथ में..... आजकल मैं अनजान लोगों के बीच हूँ जैसे....

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