आज थोडा मन उदास सा है., कोई ऐसी चीज जो आपको बहुत प्रिय हो , उसकी ऐसी दुर्गति देख कर जी उमड़ आना स्वाभाविक है.....नहीं जानती थी कि इतने दिनों से संभाल कर रखी हुई मेरी कुछ आयल पेंटिंग्स का ऐसा हश्र होने वाला है........आज दीवाली के लिए घर की साफ़ सफाई के दौरान.....जब अपना कुछ सामान अपनी जगह से हटाया , तो बाँध कर रखी हुई कुछ पेंटिंग्स पर ध्यान गया ..और ये देख कर बड़ी ही पीड़ा हुई कि वो सारी पेंटिंग्स दीमको द्वारा बुरी तरह क्षतिग्रस्त की जा चुकी थीं.....और इतनी ख़राब हालत में थीं कि उनका कोई भी हिस्सा छूने लायक तक नहीं था......लाचार हो कर अपने माली से कह कर उन्हें अपने लान के ही पिछले हिस्से में आग के हवाले कर दिया.....तब से इतना मन खराब हो रहा है कि क्या कहूं .......बस इसी बात कि तसल्ली है कि उन सभी पेंटिंग्स के चित्र मेरे संग्रह में हैं........अब यही सोच रही हूँ कि क्या उनकी यही नियति थी ????
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