मातृ दिवस पर अपनी अपनी माँ को याद करने से एक अतिरिक्त लाभ ये हुआ..... कि अभी तक के अपने सभी फेसबुक मित्रों की आदरणीया माँओं से भी परिचय हुआ.......सभी के चरण छूने का अवसर मिला....और ये अंतर्मन से महसूस हुआ कि उन सभी का आशीर्वाद भी हम सबको प्राप्त हुआ.....हम कितना कुछ भी पश्चिमी लोगो को भला बुरा कह लें....पर इतना तो मानना ही पड़ेगा .....कि इन दिवसों (मातृ दिवस ...पितृ दिवस.. पुत्र या पुत्री दिवस ) के दिन कम से कम हमारा पूरा ध्यान और चिंतन अपने स्नेहिल जनों के प्रति बना रहता है.......इसी बहाने हम कुछ दिन पहले से कुछ दिन बाद तक उनकी यादों में डूबे रहते हैं.......
कोई कुछ भी कहे मुझे तो बहुत अच्छा लगता है........नहीं तो आज की भागमभाग भरी दुनिया में किसी के पास समय कहाँ है ?.... जीवित माँ बाप से बात कर पाने का .....
तो जो अब संसार में नहीं है उन्हें कौन याद करे ??
आज फेसबुक ..वाट्सएप ..इत्यादि के होने से.... और आज की पीढ़ी जो अपने पेरेंट्स से इतना घुली मिली या फ्री है कि अपनी भावनाएं व्यक्त करने में उन्हें जरा भी झिझक नहीं .....ये उनका सौभाग्य है ..... हमें तो याद भी नहीं कि मम्मी पापा से अथाह प्रेम करने के बावजूद हम उनसे कभी कह पाएं हो कि हम उनसे बहुत प्यार करते हैं.......यदि आज उनके नहीं रह जाने पर ही सही ..... ये अवसर हमें मिला है तो कहने में कैसी झिझक......
बिलकुल.. सच कह रही हूँ ...... मुझे उनका नजरिया बिल्कुल पसंद नहीं... .जो ये सब मनाने को ..पश्चिमी चोंचलेबाजी कहते हैं......पर मुझे तो ये चोंचले बाजी बहुत पसंद है भई 😊😊😊
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