चित्र गुप्त पूजन के दिन लिखना पढ़ना मना होता है तो ....फेस बुक पर लिखना पढ़ना ..सही है क्या ????..बचपन में हम लोग जान बूझ कर उस दिन जरूर किताब लेकर बैठ जाते थे कि मम्मी ..लोग बार बार कहें कि आज मत पढ़ो....ट्यूशन टीचर को कई दिन पहले से बता दिया जाता था कि दीवाली के तीसरे दिन मत आइयेगा........उस दिन किताब कॉपी नहीं छूते हैं......(जैसे बाकी के दिन किताब कॉपी हर समय ले के बैठे रहते हों......)..कितने भोले दिन थे वे.....:( :( :(
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