साफ़ सुथरी सड़कों पर... नए नए झाड़ू लेकर ..पोज़ देते हुए..फोटो खिंचाने और रोज अपने घर द्वार की ही सफाई करने में बहुत अंतर है....एक से एक बनठन कर मेकअप से पुते चेहरों का ....घर , रसोई और उसके आसपास पड़ी गन्दगी को भी देखा है.......अभी अपने ही घर में झाड़ू पोंछा लगाना पड़े तो आंधी आ जाए..........अगर हर कोई सिर्फ अपने घर ... अपने घर के आसपास...अपने मोहल्ले.... ही सफाई करने जा जिम्मा उठा ले..तो इतनी नौटंकी करने की जरूरत ही क्या पड़े.......आखिर हम लोग स्कूल में भी एक चार साल के बच्चे तक को ये सिखा ही देते हैं..की टॉफी खाने के बाद छिलका....और पेंसिल की छीलन या कागज की कतरन को क्लास में रखे कूड़ेदान में ही डालना है......तो ये बात स्कूल से बाहर निकल कर सड़क पर पड़े कूड़ेदानों में कूड़ा डालने में कहाँ चली जाती है....सड़कों के किनारे भी दुनिया भर का कचरा चारो तरफ फेंका जाता है (सिर्फ कूड़ेदान में नहीं डाला जाता).....
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