जीवन में हमारे एक समय ऐसा भी आता है. जब हमें तय करना होता है कि पन्ना पलटना है या किताब बंद करनी है...
मुस्कुरा रहें है..... क्यों कि हम फिर से लखनऊ में हैं
सब से मिलने के बाद
सोचा है कि
कुछ समय निकाल लिया करें
सिर्फ तुम लोगों के लिए
दूर जरूर हैं लेकिन
हर समय पास होने का अहसास
बना रहेगा....
सोचती हूँ कि अब से, बल्कि आज ही से
थोडा थोड़ा वक़्त गुल्लक में
डाला करूँगी
जो सिर्फ तुम्हारा मेरा होगा...
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