एक लंबे वक्त के बाद रात भर जाग कर ऐसी सुबह देखी है. इस डर के बग़ैर कि पूरा दिन बर्बाद होगा,थोड़ा सो लेती हूँ. अचानक से याद आया कि लगभग पूरा साल गुजरने को है गाजियाबाद में रहते हुए...... इतने साल गुजर गए. मनकापुर में काम करते हुए एक स्कूल में......अचानक से महसूस हुआ कि जिन लोगों को मैंने काम के दौरान जाना उन्हें जानते हुए भी कितने साल बीत गए......पर अभी तक नहीं जान पाई..... .
मनकापुर जैसे एक गांव या कॉलोनी में बैठकर बातें करने पर बड़े शहरों की एक अलग ही दुनिया लगती थी तब और शायद एकतरफा इंप्रेशन था इन बड़े (!!) शहरों का.....
गनीमत इतनी है कि मेहनत से अब भी चिढ़ नहीं होती.इतने बरसों अंग्रेजी स्कूल में पढ़ाने के बावजूद, अभी भी मैं अंग्रेज़ी सीखना चाहती हूँ.... सीख नहीं पा रही..... बोलना सीख रही हूँ.......पर अब बोलने से ज्यादा सुनना अच्छा लगने लगा है..... धीरे धीरे चुप रहने की आदत सी पड़ती जा रही है....
मेरे सपने अब तक लगभग पूरे नहीं हुए हैं. शायद कुछ भी नहीं पूरा होता.... . लेकिन दो चार जो पूरे हुए उसमें से एक मेरी नौकरी भी थी.......
बहुत मुश्किल से देखा सपना जो बहुत आसानी से पूरा हो गया... .
पता नहीं कितने साल और कटेंगे इधर..... या कितने दिन......लेकिन ये साल ये दिन बहुत समृद्ध करेंगे ऐसी उम्मीद और इच्छा है
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