समय लगता है संभलने में जानती हूँ आसान नहीं है, फिर भी !!हमारी उम्र कितनी भी हो जाय माता-पिता के रहते उसका अहसास ही नहीं होता और एक दिन वे हमें यकायक बड़ा कर जाते हैं..... यहीं हम असहाय हो जाते हैं......
जब माता -पिता हमें छोड़ कर चले जाते हैं तो हमारे मन में हमेशा यह अफसोस सालता रहता है कि काश! हम थोड़ी देर और उनके साथ बैठकर बातें कर लेते...... थोड़ा समय और उन्हे दे देते.... हमारे जीवन मे उनकी जगह कोई नहीं ले सकता.. हमें हर पल उनकी कमी महसूस होती है........ शब्द ऐसे समय अर्थ खो देते हैं..... इस तकलीफ़ को सिर्फ़ अपनी तकलीफ़ से समझा जा सकता है...........
मां का जाना हमेशा रुला देता था..... और जब वो हमेशा के लिए चली जाएंगी तो क्या होगा?? . ये कल्पना ही पीड़ा देती थी..... आज 13 साल बीत गए है पर अभी तक यकीन नही होता.....
(7-2-23)
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