खूब फुर्सत में हूँ आज कल ,
सुबहें देर से होती हैं ....
दोपहरें खूब लम्बी होती हैं.....
शामें इत्मीनान से होती हैं....
और रातें कितनी देर से होती हैं पता नहीं......
वक़्त ही वक़्त है आजकल.....ख़ुद के लिए वक़्त का एक सिरा ज़रूर पकड़ कर रखना चाहिए...
ख़ुद को सबसे पहले प्यार करना चाहिए...
बाक़ी सब बाद में...
जबसे बच्चे थोड़ा बड़े हुए यही जीने का तरीक़ा मेरा...
ख़ुश हूँ बेहद...खुश हैं आस-पास सब 💕
कल जिस क्लोज़नेस को हम तरसते थे, बड़े होते बच्चों के लिए हम भी वैसे हो जाते हैं। बच्चों को मम्मी लोगों से हमेशा दुलार की क्रेविंग रहती ही है....
ये बात हम लोग अपने पेरेंट्स से नहीं कह पाए,
पर हमारे बच्चे समय रहते रिमाइंड करा देते हैं बिन झिझके,
यह कितना सही है न.....
बेहतरीन बेहतरीन, समय है कभी व्यस्तता तो कभी फुर्सत।
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