लिखिए अपनी भाषा में

Friday, April 16, 2021

यूंही

ये तो है...पहले अलंकारों, उपमाओं, से भरी ..  हिन्दी ज्यादा क्लिष्ट हुआ करती थी..... इस वजह से ही 75% विद्यार्थी हिन्दी विषय से घबराते थे.... मुझे भी अब लगता है कि अगर डिक्शनरी लेकर बैठना पडे तो पढने का आनंद नहीं रहता और आम बोलचाल की भाषा में हम इतनी परिष्कृत हिन्दी नही प्रयोग करते हैं.... जो सरल है सहज है वही ग्राह्य है....फिर समय का भी परिवर्तन है..... कभी कभी कवि गोष्ठियों में जाना होता है (सिर्फ सुनने) तो महसूस करती हूं जो कवि बहुत चुन चुन कर जयशंकर प्रसाद या दिनकर स्टाइल की कविताएँ सुनाने लगते हैं.... वो बोझिल से हो जाते हैं.... उस समय लोग फोन देखने लगते हैं किसी काम से बाहर निकल जाते हैं.... कवि लोग ही आपस में खुसुरपुसुर में व्यस्त हो जाते हैं😊😊😊😊

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