विगत चार छः महीनों और अभी दस बारह दिनों की भागदौड..मनकापुर से लखनऊ और लखनऊ से नोयडा
और हमारे लिए ये बिल्कुल नया शहर...
.
वर्षों पुराने संबंधों और स्वयं को घनिष्ठ और घनिष्ठ तम कहलाने की इच्छा रखने वाले इष्ट मित्र, सहयोगी भी ऐसे मौके पर अपने पंख समेट कर किनारे हो जाते हैं ऐसा अभी तक सुना ही था.... देखा नहीं था... पर इस अवसर पर वो भी देख लिया..... परिस्थितियों को देखते हुए हम स्वयं सजग थे....पर ऐसी उम्मीद नहीं थी.... उन सभी "हितैषी गणों" से जिन्होंने वाट्सैप पर हमारा कार्ड, हमारा आमंत्रण, हमारे कार्यक्रम की रूपरेखा सब देखा... (क्यों कि वाट्सैप बखूबी बता देता है कि कौन कौन आपका मैसेज देख चुका है)
क्षमा चाहते हैं कि हम कुछ ज्यादा ही उम्मीद लगा बैठे थे....लेकिन ये भी जरूरी होता है आजकल के समय में कि आप यदि किसी कारण नही पंहुच पा रहे हैं और "करोना" के कारण असमर्थ हैं तो हमारे मैसेज के नीचे एक पंक्ति लिख कर ही सूचित कर दें.....उसमें तो कोई पैसे या समय की बर्बादी नहीं है......पर पढने के बाद भी कोई प्रतिक्रिया न करना तो मैं सरासर इग्नोर करना ही मानूंगी....
अपने तमाम परिचितों के मध्य, सरकारी हिसाब किताब से यदि 40-50 लोगों मे हमने आपका नाम चयनित किया था... और आपको निमंत्रित किया था तो उसका कोई तो कारण रहा होगा....वैसे ये जरुरी नहीं कि आप हमारे 40-50 खास लोगों में हैं तो हम भी आपके 40-50 खास लोगों में हों....और आप भी हमें इतना ही इंपोर्टेंस दें......
खैर अब मुझे इसका कोई दुःख नहीं...
.
.कुछ संयोग कुछ परिस्थितियां.... जिनपर हमारा कोई वश नहीं है....बस खुशी यही है कि सब अच्छे से निबट गया....चाहे छोटे पैमाने पर ही....बच्चों की स्वयं की भाग-दौड़, हर तरह की सुविधा जनक व्यवस्था.... सभी इंतजाम....सब बहुत अच्छा रहा... पर हमेशा हमारा मनचाहा सब कुछ तो नही हो पाता....बस कुछ चेहरे पहचान लिए जाते हैं....और वो मैंने अच्छी तरह पहचान लिए हैं.....
प्रभु सब पर कृपा दृष्टि बनाए रखें और मेरे बच्चों पर अपना वरद हस्त हमेशा रखे रहें यही इच्छा है 🙏🙏🙏🙏🙏🙏
कुछ अनकहे पल ..कुछ अनकही बातें ......कुछ अनकहे दर्द कुछ अनकहे सुख ......बहुत कुछ ऐसा जो सिर्फ महसूस किया .....किसी से बांटा नहीं . ...बस इतना ही .......
लिखिए अपनी भाषा में
Monday, April 19, 2021
19.04.21
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment