कुछ इंसानी रवैये दूसरे को कितना कमजोर बना देते हैं,कि सारे हौसले , सारी ताकतें , सारी हिम्मतें जवाब दे जाती हैं.... सब कुछ रेत का ढेर होता नजर आता है.... कैसी विडम्बना है कि इतनी मेहनत से बनाये गए घोंसले का अस्तित्व भी सिर्फ कुछ तिनकों के इधर उधर सरक जाने से ही खतरे पड़ जाता है।
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