आज भी मेरे पापा के घर पर उन्हीं की नेमप्लेट लगी है जबकि उनको गए बरसों बीत गए हैं.... न पापा हैं न मम्मी 😢😢
जाने वाले अपने पीछे अपने निशां छोड़ जातें हैं.....अब ये उनके पीछे रह गए लोगों पर ही निर्भर करता है... कि वो उनकी यादों को संजो कर रख पाते हैं या वक़्त की निर्मम परतों के पीछे अदृश्य होने देते हैं....
वैसे आज की पीढी इस मामले में इतनी भावुक नहीं है....जिन चीजों को वर्तमान और एक या दो पीढ़ी तक बहुत आत्मीयता और हिफाजत से सहेज कर रखा जाता है.... वो चीजें उसके बाद वालों के लिए कबाड़ मे गिनी जाने लगती है.....😟😟😟😟ये मेरा निजी अनुभव है
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