सब झूठ है....
बरसों पहले किसी ने बताया था
कि भिगोए बादाम रोज सुबह खाने से बुद्धि तेज होती है......
पर जिसका मेक ही गड़बड़ हो उसका क्या ?
लोगों की बनावटी बातें समझ नहीं आतीं......
बातों के पीछे छिपे मकसद समझ नहीं आते...
प्रेम से उठा हाथ गला दबोचने आ रहा है या गले लगाने??
आज तक समझ नहीं आया ....
आस्तीनों में कौन सा सांप है समझ नहीं आता.....
धोखा खाने के बाद भी अपनी ही गलती लगती है......
समझ में नहीं आ रहा कि क्या करूँ
ताकि समय और जमाने के साथ चल सकूँ....
लोग कितने आगे बढ़ गये
मैं वहीं की वहीं रह गई जैसे.....
सदियों पहले की सोच वाली !
बकलोल की बकलोल
बेवकूफ़ की बेवकूफ़!!!!!!
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