बिस्तर और रजाई से मेरा जरा भी लगाव नही है...... बहुत कर्मशील हूँ मैं.....
परंतु रजाई से बिछड़ते वक्त रजाई की नम आंखे देख फिर से उसे गले लगा लेती हूँ.....आखिर रोज ही तो सुबह-सुबह उसे छोड़ कर चली जाती हूँ न.....कम से कम इतवार के दिन तो बेचारी को पूरा समय देना चाहिए न😀😀😀😀😀😀😀
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